बेजोड़ रत्न, कुलदीप अवस्थी। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 नियम 3 क की परिभाषा में कहा गया है कि शासकीय सेवक ऐसा कोई भी कार्य न करे जिससे कि उसकी अनुशासन हीनता भंग हो। व ऐसा कोई कार्य नहीं करे जो उसके लिए अशोभनीय हो।
वहीं हमारे सम्मानीय गणतंत्र दिवस पर कृषि उपज मण्डी समिति श्योपुर की उपमंडी ढोंढर के प्रभारी लालाराम द्वारा अशोभनीय ही नहीं बल्कि अनुशासनहीनता भी की गई, उन्होंने गणतंत्र दिवस पर झण्डावंदन करते वक्त भारत माता की तस्वीर को जूते पहनकर पूजन किया जोकि उनका उक्त कृत्य सेवा आचरण व व्यक्तिगत आचरण के भी विपरीत है। ताज्जुब है लालाराम का सेवाकाल लम्बा हो चला है। इसके बाद भी उन्हें यह समझ नहीं कि झण्डावंदन व भारतमाता के पूजन के वक्त जूते उतार लेना चाहिए, इस कृत्य को करते वक्त उन्होंने पूजन नहीं बल्कि निंदनीय कृत्य किया है। जिसकी स्थानीय लोगों द्वारा घोर निंदा की जा रही है।
बताते चलें कि पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें इस तरह के मूर्खता पूर्ण काम किए गए, जैसे शाहजहांपुर के कॉलेज में जूता पहनकर माल्यार्पण किया गया तब हिंसक हंगामा हुआ, व बरेली में डी.एम समेत अन्य अफसरों द्वारा जूता पहनकर भारत माता मंदिर में पुष्प अर्पित किए गये थे तब अफसरों के इस रवैए की पूरे देश में घोर निंदा हुई थी। आज सोशल मीडिया का ज़माना है उक्त अन्य इस जैसी घटनाएं लगभग सभी मोबाइलों तक पहुंच जाती हैं तब क्या लालाराम अंजान था कि समझ नहीं पाया कि एक निंदनीय कार्य कर रहा है। वहीं मण्डी विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक आर.पी. चक्रवर्ती द्वारा जूते उतार कर झण्डा वंदन किया गया व कहा कि देश की आन-बान-शान है तिरंगा, हर भारतवासी की पहचान है तिरंगा। लालाराम जैसे लोगों को यदि भान-ज्ञान नहीं तो कम से कम अपने वरिष्ठ अधिकारियों से ही सीख लें कि झण्डे व भारत माता का कैसे सम्मान करना होता है?
चूंकि लालाराम उपमण्डी का प्रभारी है तब वहां उपस्थित व्यापारी, किसान, कर्मचारियों पर क्या संदेश गया होगा? कि जिसे भारत माता का सम्मान करना नहीं आता उसे विभाग ने प्रभारी बना रखा है।
मण्डी बोर्ड सभी मैदानी कर्मचारियों को ड्रेस उपलब्ध कराता है जिसमें कैप, बैल्ट, जूते, पैंट, शर्ट शामिल होते हैं। सभी को शरीर पर धारण करने पर ही सम्पूर्ण ड्रेस कहलाती है जबकि एएसआई लालाराम बगैर कैप पूजन कर रहा है व झण्डावंदन किया। बगैर कैप के सैल्यूट नहीं किया जाता, यह एक निंदनीय कृत्य है जिसे वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लेना चाहिए व अपने जवानों को ट्रेनिंग के माध्यम से समझाने का प्रयास करना चाहिए।
आवश्यकता
अक्सर देखने को मिलता है कि मंडी बोर्ड के कर्मचारियों में अधिकांश को ड्रेस पहनने का सलीका (शऊर) नहीं है जैसे, ड्रेस पहने हैं तो पैरो में चप्पल पहने हैं, कोई कैप नहीं लगाए हैं, कोई ढीली-ढाली फैशनेवल शर्ट पहनते हैं तो कोई लटकती हुई बैल्ट लगाए है, सच कहें तो लपूझन्ने जैसे लगते हैं। एक तरीके से डे्रस कोड का मजाक उड़ाते से लगते हैं। मण्डी बोर्ड को चाहिए कि कोई ट्रेनिंग प्रोग्राम कर इन्हें ड्रेस पहनने का सलीका सिखाएं जिससे ये लपूझन्नों से जवान नजर आएं।
इनका कहना
हम सभी भारतवासियों की आन-बान-शान है तिरंगा। भारत माता के पूजन में यदि कोई त्रुटि हुई है तो जांचकर वैद्यानिक कार्यवाही करूंगा।
आर.पी.चक्रवर्ती
संयुक्त संचालक