- वाटरगेट कांड बनेगा अडाणी का घोटाला

मुंबई । अडानी ग्रुप की फर्जी कपनियों और उनके फर्जी शेयरों ने भारतीय निवेशकों की ही नहीं बल्कि विदेशी कंपनियों को भी तबाह कर दिया है। जिस तरह अडाणी ग्रुप ने सरकार के संरक्षण में भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला किया है वह भारत का वाटरगेट कांड बन गया है। उधर गौतम अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया है। ग्रुप ने 413 पन्नों का जवाब जारी किया। इसमें लिखा है कि अडाणी समूह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ग्रुप ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट का असल मकसद अमेरिकी कंपनियों के आर्थिक फायदे के लिए नया बाजार तैयार करना है। वहीं हिंडनबर्ग ने कहा है कि राष्ट्रवाद की आड़ में धोखाधड़ी ना छिपाएं। हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर कई दशकों से मार्केट मैनिपुलेशन अकाउंटिंग फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि अडाणी ग्रुप की सभी प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज है और ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर 85त्न से ज्यादा ओवर वैल्यूड हैं।
गौरतलग है कि वाटरगेट कांड संयुक्त राज्य अमेरिका में 1972 से 1974 तक राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के प्रशासन से जुड़ा एक प्रमुख राजनीतिक घोटाला था जिसके कारण निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा। 17 जून 1972 को वाशिंगटन डीसी वाटरगेट ऑफिस बिल्डिंग में डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के मुख्यालय में ब्रेक-इन में अपनी भागीदारी को कवर करने के निक्सन प्रशासन के लगातार प्रयासों से यह घोटाला सामने आया। बाद में 1973 में जांच में बाधा डालने वाले कई बड़े खुलासे और अहंकारी राष्ट्रपति की कार्रवाइयों ने सदन को निक्सन के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रेरित किया। यूएस सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि निक्सन को सरकारी जांचकर्ताओं को ओवल ऑफिस टेप जारी करना था। निक्सन व्हाइट हाउस के टेप से पता चला कि उसने ब्रेक-इन के बाद हुई गतिविधियों को कवर करने की साजिश रची थी और बाद में जांच से ध्यान हटाने के लिए संघीय अधिकारियों का इस्तेमाल करने की कोशिश की थी। निक्सन ने 9 अगस्त 1974 को कार्यालय से इस्तीफा दे दिया। आमतौर पर यह माना जाता है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो सदन द्वारा उन पर महाभियोग लगाया जाता और सीनेट में एक परीक्षण द्वारा कार्यालय से हटा दिया गया। वह एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने पद से इस्तीफा दिया है।

विपक्ष का आरोप है कि जिस तरह 70 के दशक में अमेरिका में सामने आए वाटरगेट जासूसी कांड से वहां सियासी भूचाल आ गया था। उसी तरह अडाणी ग्रुप के घोटाले ने केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व के शेयर बाजार को बर्बाद कर दिया है। सोमवार यानी 30 जनवरी को भी अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट उतनी ही गर्म रही जितनी 24 जनवरी को थी। 24 जनवरी के बाद से अडानी ग्रुप की 9 कंपनियों के स्टॉक 42 फीसदी तक डूब चुके हैं। वहीं कंपनियों की हैसियत भी पौने 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो चुकी है।

अडानी ग्रुप की अधिकांश कंपनियों के शेयरों में गिरावट का दौर सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। इससे अडानी ग्रुप को तीन दिन में 65 अरब डॉलर (करीब 5.3 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। पिछले हफ्ते बुधवार को अमेरिका की एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी ने अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसके बाद पिछले हफ्ते बुधवार और शुक्रवार को अडानी ग्रुप की कंपनियों में भारी गिरावट आई थी। इसमें से कुछ कंपनियों के शेयरों में सोमवार को भी गिरावट आई। इससे अडानी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 65 अरब डॉलर कम हो चुका है। शेयरों में गिरावट से कंपनी के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में भी भारी गिरावट आई है। तीन दिन में उसकी वेल्थ करीब 37 अरब डॉलर (करीब 3020513500000 रुपये) घट गई। फोब्र्स के मुताबिक अडानी की नेटवर्थ में सोमवार को 8.3 अरब डॉलर की गिरावट आई और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में आठवें नंबर पर खिसक गए हैं।

-अडाणी समूह ने खेला देशभक्ति का दांव
उधर गौतम अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया है। ग्रुप ने 413 पन्नों का जवाब जारी किया। इसमें लिखा है कि अडाणी समूह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ग्रुप ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट का असल मकसद अमेरिकी कंपनियों के आर्थिक फायदे के लिए नया बाजार तैयार करना है। हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अडाणी ग्रुप पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे बड़े आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट जारी होने के बाद गौतम अडाणी की नेटवर्थ 10 प्रतिशत कम हो गई। फोब्र्स के मुताबिक अडाणी को नेटवर्थ में 1.32 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 25 जनवरी को उनकी नेटवर्थ 9.20 लाख करोड़ थी जो 27 जनवरी को 7.88 लाख करोड़ रुपए पर आ गई थी।

-अडाणी ग्रुप का हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर जवाब
अडाणी समूह ने जवाब में लिखा कि यह रिपोर्ट किसी खास कंपनी पर किया गया बेबुनियाद हमला नहीं है बल्कि यह भारत पर किया गया सुनियोजित हमला है। यह भारतीय संस्थानों की आजादी अखंडता और गुणवत्ता पर किया गया हमला है। यह भारत के विकास की कहानी और उम्मीदों पर हमला है। समूह ने कहा कि यह रिपोर्ट गलत जानकारी और आधे-अधूरे तथ्यों को मिलाकर तैयार की गई है। इसमें लिखे गए आरोप बेबुनियाद हैं और बदनाम करने की मंशा से लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट का सिर्फ एक ही उद्देश्य है- झूठे आरोप लगाकर सिक्योरिटीज के मार्केट में जगह बनाना जिसके चलते अनगिनत इंन्वेस्टर्स को नुकसान हो और शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग बड़ा आर्थिक फायदा उठा सके। अडाणी समूह ने अपने जवाब में हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। ग्रुप ने कहा कि जब अडानी समूह का आईपीओ लॉन्च होने वाला है जो कि देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा तो उससे ठीक पहले ऐसी रिपोर्ट जारी करके हिंडनबर्ग ने अपनी बदनीयत का सबूत दिया है। अडाणी ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट लोगों की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए जारी की है। इसे जारी करने में हिंडनबर्ग ने सिक्योरिटीज एंड फॉरेन एक्सचेंज लॉ का भी उल्लंघन किया है। न तो यह रिपोर्ट स्वतंत्र है न निष्पक्ष है और न ही सही तरह से रिसर्च करके तैयार की गई है।

-हिंडनबर्ग का जवाब- धोखा तो धोखा होता है
अडाणी ग्रुप के रिस्पॉन्स पर हिंडनबर्ग ने भी जवाब दिया है। हिंडनबर्ग ने कहा धोखाधड़ी पर इस तरह के जवाब या राष्ट्रवाद का पर्दा नहीं डाला जा सकता है। अडाणी ग्रुप हमारी रिपोर्ट को भारत पर सोचा-समझा हमला बता रहा है। अडाणी ग्रुप अपने और अपने चेयरमैन की बढ़ती हुई आय को भारत के विकास के साथ जोडऩे की कोशिश कर रहा है। हम इससे सहमत नहीं हैं। हम मानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र भिन्नताओं को समेटे हुए है। भारत एक उभरती हुई सुपर पावर है जिसका शानदार भविष्य है। हम यह मानते हैं कि भारत के भविष्य को अडाणी ग्रुप ने पीछे खींच रखा है। जो खुद को देश के झंडे में लपेट कर लूट मचा रहा है। हम मानते हैं कि धोखा... धोखा ही होता है। भले ही यह दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों में शामिल किसी शख्स ने ही क्यों न किया हो। हमने 88 सवाल अपनी रिपोर्ट में पूछे थे और अडाणी ग्रुप इनमें से 62 सवालों के सही तरह से नहीं दिए हैं। इसने हमारी रिसर्च को दरकिनार करने की कोशिश की है।

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