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भारत, पाकिस्तान... दुनिया के समुद्रों पर कब्जा कर रहा जहरीला शैवाल, अंतरिक्ष से दिखा डरावना नजारा
बीजिंग। दुनियाभर में फैले अथाह समुद्र पर जहरीले शैवाल का कब्जा हो रहा है। सैटेलाइट से ली गई ताजा तस्वीरों में समुद्र के ऊपर इस शैवाल के कब्जे का भयावह नजारा देखने को मिला है। यह शैवाल भारत, पाकिस्तान, ईरान, वियतनाम समेत कई देशों से जुडे समुद्र में देखा गया। भारत में यह जहरीली हरियाली गुजरात तट से लेकर पाकिस्तान तक अरब सागर में दिखाई दे रही है।वहीं तमिलनाडु और केरल के तट पर भी यह शैवाल देखा जा रहा है। इसके अलावा जापान सागर में भी यह शैवाल खूब फैला हुआ है। यह शैवाल अब समुद्र के 3 करोड़ 14 लाख वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैल चुका है। इस जहरीले शैवाल को फैलाने में खुद इंसान की ही भूमिका है जो लगातार अपनी गतिविधियों से इस शैवाल को खुराक दे रहा है। चीन के वैज्ञानिकों के मुताबिक साल 2003 से अब तक इस शैवाल के फैलाव में 13।2 प्रतिशत की तेजी आई है। चीन के साउदर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि रासायनिक खाद, सीवर के जल, वायु प्रदूषण और जीवों के खाद पानी के रास्ते समुद्र में जा रहे हैं जिससे इस शैवाल को पोषक तत्व मिल रहा है और उसका विकास हो रहा है। यही नहीं समुद्री जल के लगातार बढ़ते तापमान की वजह से शैवालों के तेजी से बढ़ने की दर पिछले दो दशक में काफी ज्यादा हो गई है। गर्म पानी की वजह से शैवालों के बढ़ने के लिए मौसम लंबा खिंच जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस जहरीले शैवाल की वजह से लोगों को नुकसान हो सकता है। चीनी वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि इससे दुनियाभर में पर्यावरण की एक बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। पानी के अंदर शैवाल की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है और यह ताजे पानी में भी हो सकती है। इस शैवाल के फैलने से पानी का रंग खराब हो सकता है। यह पीला, लाल या चटक हरा हो सकता है, जैसा कि यह सैटेलाइट से ली गई ताजा तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि पानी के अंदर फास्फेट और अन्य उर्वरक काफी बड़े पैमाने पर घुल रहे हैं, इससे शैवाल और अन्य हरे पौधों को खाना मिल रहा है। इससे उनका विकास हो रहा है।
प्लवक उस समय नुकसानदायक होते हैं, जब वे पानी के अंदर ऑक्सीजन को खत्म कर देते हैं, इससे मछलियों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। कुछ शैवाल के अंदर से बायोटॉक्सिन पैदा होता है जो वन्यजीवों पर गंभीर असर डाल सकती है। इससे ऐसे क्षेत्र बन सकते हैं जहां जीव जिंदा ही नहीं रह सकते हैं। इस शोध में नासा की 7,60,000 तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया। साल 2020 तक यह शैवाल का एरिया समुद्र में 8.6 प्रतिशत तक था।
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