- एक सैनिक सडक दुर्घटना में घायल, आखिर आयुष्मान कार्ड भी जवान को दगा दे गया- महासचिव रणवीर सिंह

ग्वालियर के वेदांत अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड आने के बावजूद भी नकार दिया इलाज के लिए जवान को 
जब एक जवान के साथ ये परिस्थितियां है तो आम नागरिकों का क्या होगा आयुष्मान कार्ड से 
डबरा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। जहां एक ओर केन्द्र और राज्य सरकार आयुष्मान कार्ड आम जनता को देकर विषम परिस्थितियों में उनके इलाज पर 5 लाख रूपये वित्तीय सहायता देने की बात करती है। वहीं दूसरी ओर एक सैनिक के पास आयुष्मान कार्ड आने के बावजूद भी ग्वालियर के वेदांत अस्पताल ने सैनिक का इलाज करने के बाद आयुष्मान कार्ड को दरकिनार कर दिया जबकि पैरामिलिट्री फोर्स के एक संस्थान के अध्यक्ष ने जिसकी शिकायत नेशनल हेल्थ अथोरिटी और सीआरपीएफ के हेडक्वार्टर को भी उक्त मामले से अवगत कराया और दोनों ही संस्थानों ने अस्पताल संचालक से बातचीत की लेकिन उसके बावजूद भी आयुष्मान कार्ड को दरकिनार इस बात पर कर दिया कि मप्र सरकार आयुष्मान कार्डों का भुगतान समय पर नहीं करती। ऐसी स्थिति में सडक दुर्घटना में घायल सैनिक के परिवार को 5 लाख रूपया इलाज पर खर्च करना पडा, ऐसी स्थिति में आयुष्मान कार्ड सिर्फ एक कार्ड बनकर रह गया। 
अपने लिए लडकी देखने के लिए जा रहा था सैनिक राजन तोमर......
दरअसल, मुरैना जिले के दिमनी निवासी राजन तोमर 65वीं बटालियन आरक्षक 28 फरवरी को छुट्टी पर आया हुआ था 15 फरवरी को अपने लिए लडकी देखने के लिए गया था इसी बीच मुरैना हाइवे पर एक आलू से भरे ट्रैक्टर के चालक ने तेजी व लापरवाही से चलाते हुए सीआरपीएफ के राजन तोमर और उनके चाचा नत्थी सिंह को अपनी चपेट में ले लिया। जिस घटना में चाचा-भतीजे गंभीर रूप से घायल हो गए ऐसी स्थिति में परिवार के अन्य लोगों को जानकारी लगी और परिवार के लोग घायल राजन और उनके चाचा को ग्वालियर जिले के 3-4 अस्पतालों में लेकर पहुंचे लेकिन आरक्षक पर आयुष्मान कार्ड न होने के चलते भर्ती करने से इंकार कर दिया। तब जाकर वेदांत अस्पताल ने इस शर्त पर भर्ती किया कि आपका इलाज निजी खर्च पर किया जाएगा।  
देश की रक्षा के लिए न्यौछावर करता है प्राण एक सैनिक........
कितने दुर्भाग्य पूर्ण बात है कि हमारे देश की माटी का सपूत अपने देश की रक्षा और दुश्मनों से लोहा लेते हुए आतंकवादियों से टकराता है और कई बार विषम परिस्थितियों में अपने प्राणों को भी गंवा देता है लेकिन अगर देश के सैनिक के साथ ऐसी विषम परिस्थितियां पैदा होगी तो फिर आम आदमी का क्या होगा..? जबकि केन्द्र और राज्य सरकार आयुष्मान कार्ड का ढिंढोरा पीटती है। सेना का जवान जहां एक ओर देश की रक्षा करते समय अपने प्राणों को न्यौछावर कर देता है लेकिन जब उसी जवान पर कुदरत की ओर से कोई कहर ढाया जाता है तो ऐसे समय में कभी-कभी सरकार की योजनाओं को अस्पताल के संचालक भी दरकिनार कर देते है जैसा कि सीआरपीएफ की 65 बटालियन के सैनिक के साथ हुआ।
बहुत कुछ मेहनत करने के बाद भी नहीं मिली सफलता राणा को....... 
जी हां हम बात कर रहे है ग्वालियर शहर के वेदांत अस्पताल की, जहां 65 बटालियन रायपुर का सैनिक राजन तोमर अपने चाचा नत्थी सिंह के साथ अपने लिए लडकी के लिए संबंध के लिए जा रहा था और मुरैना के पास सडक दुर्घटना में घायल हो गया। अत्यधिक घायल होने के चलते उसे ग्वालियर वेदांश अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब सैनिक के घायल होने की खबर महासचिव जयेन्द्र सिंह राणा को पता चली और वो मौके पर पहुंचे तो उनके संज्ञान में आया कि एक तो सैनिक के इलाज में आयुष्मान कार्ड जारी नहीं किया गया है। श्री राणा ने तत्काल रायपुर बटालियन के कमांडेंट से बातचीत की और त्वरित कार्यवाही कर उक्त दस्तावेजों को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचा जिसमें वित्तीय सहायता की जरूरत पडने पर तुरंत अवगत कराया गया। 
वेदांत अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड को सिरे से नकार दिया......
महासचिव रणवीर सिंह के अनुसार उच्च अधिकारियों से संपर्क के कारण घायल जवान को आयुष्मान कार्ड जारी हुआ, आयुष्मान कार्ड के संबंध में महानिदेशालय सीआरपीएम एवं नेशनल हेल्थ अथोरिटी के प्रयास भी बेकार गए लेकिन जवान की नियति में कुछ और लिखा था, हादसे में गंभीर रूप से घायल जवान की एक टांग को डॉक्टरों ने काटना पडा जिसके इलाज पर 5 लाख रूपये खर्च हुआ। अब केन्द्र सरकार आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज का सारा खर्च वहन करेगी। लेकिन वैदांश अस्पताल ग्वालियर द्वारा आयुष्मान कार्ड को एक सिरे से नकार दिया। कॉनफैडरेसन चेयरमैन व पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने राणा द्वारा किए गए सर्वोच्च कर्तव्य परायणता की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि आप साधूवाद के पात्र हैं।

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