- अद्भुत है माता लखेश्वरी की महिमा, सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना करती है मां पूरी

डबरा (बेजोड रत्न)। भितरवार नगर से महज 18 किलोमीटर दूर अनुभाग के चिटोली गांव के लखियावन स्थित लखेश्वरी माता की महिमा अद्भुत है। यहां पर जो भी भक्तगण सच्ची श्रद्धा से आता है उसकी हर मनोकामना मां लखेश्वरी पूरी करती है, माता के मंदिर को लेकर कई ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित है। यहां हर चैत्र अष्टमी और नवमी के दिन मेला भरता है वहीं शारदीय नवरात्रि में भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचकर नित्य कई आयोजन करते हैं। मंदिर के पुजारी सुमेर दास जी महाराज ने बताया कि मंदिर में जो भी महिला संतान की प्राप्ति की मन्नात मांगती है उसकी मनोकामना पूरी होती हैं। एक किवदंती है कि क्षेत्र की एक महिला को संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी और उसकी उम्र करीब 50 वर्ष हो चुकी थी। महिला द्वारा जब संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना की उसकी मनोकामना पूरी हो गई और उसे संतान की प्राप्ति हुई। नवरात्री के दौरान प्रतिदिन मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है। अगर कोई चोर मंदिर से किसी व्यक्ति की कोई भी वस्तु चोरी कर ले जाता है तो वह कुछ देर बाद ही मंदिर में वापस रख भी जाता है।
मंदिर की स्थापना के संबंध में माता ने दिया था सपना.....
मंदिर के पुजारी सुमेर दास जी महाराज ने बताया कि ग्राम गिजोर्रा मेहगांव निवासी रामानंद नामक संत को माता ने सपना दिया और कहा था कि यहां क्या कर रहे हो चिटोली स्थित लखिया वन में जाओ, वहां ऊंची पहाड़ी पर माता लखेश्वरी का मंदिर है। वहां पहुंचने में भक्तों को परेशानी होती है। उसके लिए तत्काल सीढ़ियां बनवाओ। तो उक्त संत द्वारा स्वप्न में माता से विनती करते हुए कहा कि मैं तो अंधा हूं, कैसे जा सकता हूं। जब उनके द्वारा यह बात ग्रामीणों को बताई गई तो ग्रामीण एकत्रित हुए और उन्होंने जन सहयोग से मंदिर पर सीढ़ियों का निर्माण कराया। मंदिर अब रावत समाज के लोगों की कुलदेवी का मंदिर कहलाता है। रावत समाज द्वारा कई भव्य आयोजन किए जाते हैं, साथ ही कई भव्य निर्माण भी रावत समाज के अलावा बघेल समाज द्वारा कराए गए हैं, जहां दर्शनार्थियों को हर आयोजन के लिए सुविधाएं मिल रही हैं।
राजा नल ने बनवाया था मंदिर, बघेल समाज ने बनवाईं सीढ़ियां......
लखियावन में 460 फीट की ऊंचाई स्थित पहाड़ी पर बने इस प्राचीन और ऐतिहासिक लखेश्वरी माता मंदिर का निर्माण राजा नल ने कराया था, लेकिन लंबे समय तक देखरेख न होने के कारण यह मंदिर पूरी तरह से जर्जर अवस्था में पहुंच गया था। जब लोगों को पहाड़ी पर मंदिर के कंगूरे नजर आए तो कुछ लोगों ने दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ाई की तो वहां आलौकिक रूप में विराजमान माता का मंदिर दिखा। जिसका रावत समाज के लोगों ने जीर्णोद्धार कराया और भवन इत्यादि का निर्माण कराया, लेकिन मंदिर के दुर्गम उबड़ खाबड़ रास्तों से होकर मंदिर पर श्रद्धालुओं का पहुंचना बहुत कठिन था।
बघेल समाज के लोगों ने 710 सीढीयां बनवाई थी माता तक पहुंचने के लिए..... 
इसी को देखते हुए वर्ष 1981 में बघेल समाज के लोगों ने मंदिर तक पहुंचने के लिए 710 सीढ़ियां बनवाईं थी लेकिन पिछली पंचवर्षीय योजना के चलते क्षेत्र के तत्कालीन सांसद रहे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा माता रानी के दर्शनों में श्रद्धालुओं को हो रही असुविधा को देखते हुए मंदिर के द्वार तक पहाड़ी को काटकर लगभग 2.5 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग तैयार कराया गया है जहां आसानी से दोपहिया और चार पहिया वाहन मंदिर तक पहुंच रहे हैं और श्रद्धालु आसानी से माता रानी के दरबार में अपनी हाजिरी के साथ अर्जी लगा रहे हैं।
चैत्र नवदुर्गा में घट स्थापना के साथ माता की हुई पूजा अर्चना शुरू......
वैसे देखा जाए तो क्षेत्र का सुप्रसिद्ध प्राचीन लखेश्वरी माता मंदिर अपनी ख्याति के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है और हजारों की तादाद में प्रति सोमवार लोगों का माता रानी के दर्शनों के लिए आना जाना लगा रहता है। तो वही बुधवार से चैत्र नवदुर्गा शुरू हो गए ऐसे में माता रानी की पूजा अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है जिसके चलते चैत्र नवदुर्गा शुरुआत के साथ ही जगह-जगह लोगों ने घरों में और मंदिरों में घट स्थापना के साथ माता रानी की पूजा अर्चना शुरू कर दी है। 
नवदुर्गा महोत्सव की रावत समाज ने की शुरूआत....
इसी के चलते लखेश्वरी माता मंदिर पर चैत्र नवदुर्गा महोत्सव के पहले दिन की शुरुआत 24 घार रावत समाज के द्वारा कैथोड गांव के समाज बंधुओ को सौंप गई जिसके चलते उन्होंने मंदिर पर पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना करते हुए चैत्र नवदुर्गा महोत्सव की शुरुआत कराई। वही चैत्र नवदुर्गा महोत्सव की अष्टमी और नवमी पर लखेश्वरी माता मंदिर प्रांगण पर विशाल संभाग स्तरीय मेला का आयोजन भी किया जाता है जिसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं खेलकूद प्रतियोगिताओं के अलावा विभिन्न प्रकार की आयोजन भी किए जाते हैं जिसमें दूर दराज के लोग भी भाग लेते हैं।

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