- चांद आया नजर इबादत बरकत वाला माहे रमजान प्रारंभ

डबरा/पिछोर घनष्याम बाबा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। इस्लामी माह रमजान उल मुबारक का चांद नजर आते ही रहमतों बरकतों और इबादतों वाला माह ए रमजान प्रारंभ हो गया, इस महीने में मुस्लिम भाई पूरे माह रोजा (उपवास) रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। शहर काजी मोहम्मद सिराज खान कादरी ने बताया कि इस महीने में अल्लाह तअला अपने बंदों पर खास मेहरबान रहता है, इस्लाम धर्म में पांच कर्तव्यों को अमल में लाना आवश्यक है। पहला ईमान, दूसरा नमाज, तीसरा रोजा, चौथा हज और पांचवां जकात। इस्लाम में बताए गए इन पांच कर्तव्य इस्लाम को मानने वाले इंसान से प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा हमदर्दी की प्रेरणा स्वत: पैदा कर देते हैं।
रोजा यानी तमाम बुराइयों से परहेज करना। इसी तरह यदि किसी जगह लोग किसी की बुराई कर रहे हैं तो रोजेदार के लिए ऐसे स्थान पर खड़ा होना मना है। जब मुसलमान रोजा रखता है तो उसके हृदय में भूखे व्यक्ति के दर्द का एहसास होता है और उसके लिए हमदर्दी पैदा होती है। रमजान में पुण्य के कामों का सबाव सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता है, रोजा झूठ, हिंसा, बुराई, रिश्वत तथा अन्य तमाम गलत कामों से बचने की प्रेरणा देता है। कुरान में अल्लाह ने फरमाया कि रोजा तुम्हारे ऊपर इसलिए फर्ज किया है, ताकि तुम खुदा से डरने वाले बनो और खुदा से डरने का मतलब यह है कि इंसान अपने अंदर विनम्रता तथा कोमलता पैदा करे। शहर काजी मोहम्मद सिराज खान कादरी ने बताया कि रमजान के मुकद्दस महीने में मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं। रोजा हमें आत्म संयम बलिदान आपस में प्रेम और भाईचारा धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा गरीबों मोहताजों और जरूरतमंदों के लिए दान सहानुभूति दुनियावी चीजों से दूरी और अल्लाह से नजदीकीयों का सबक सिखाता है।

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