- रमज़ान के पहले जुमा पर नमाज अदा कर मांगी दुआ

डबरा/पिछोर घनष्याम बाबा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। पवित्र माह रमज़ान-उल-मुबारक का पहला जुमा (शुक्रवार) के मुबारक मौके पर मुस्लिम भाइयों ने अल्लाह की इबादत की और रोज़ा से रहकर कुरआन की तिलावत (पाठ) किया और शाम को रोजा इफ्तार करने के बाद रब की बारगाह में अमनु अमान खुशहाली की दुआ मांगी। शहर काजी मोहम्मद सिराज खान कादरी ने बताया कि वैसे तो इस माहे मुबारक का हर लम्हा हर मिंट हर घंटे हर दिन हर रात खास होता है मगर जुमा का दिन बहुत ज्यादा खास होता है द्यइस दिन को बाकी सारे दिनों का सरदार भी कहा जाता है इसलिए मुसलमान इस दिन पढ़ने वाली विशेष नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में जमा होते हैं। 
इस मुबारक माह में हर बंदा इबादत करके रब को राजी करने में लगा हुआ है रोजा से रहकर, कुरआन की तिलावत कर, नमाज पढ़ कर, दान देकर, हर नेक काम करके अपने रब को राजी करने में जुट गया है। शहर काजी सिराज खान ने बताया कि इस मुबारक माह को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जिसमें पहला 10 दिन का भाग रहमतों वाला एवं दूसरा भाग बरकत वाला तथा तीसरा भाग मगफिरत जहन्नम (नर्क) से निजात पाने वाला हदीस मुबारक में बताया गया है कि इंसान का भूखा और प्यासा रहना ही रोजा नहीं है बल्कि शरीर के हर अंग का रोजा होता है, रोज़ा रखना इंसान की हर चीज़ को पाबन्द (नियमबद्ध) बनाता है। आँख का रोज़ा यह है कि जिस चीज़ को देखने से अल्लाह ताअला और उसके रसूल ने मना किया उसे न देखें। कान का रोज़ा यह है कि जिस बात को सुनने से अल्लाह और उसके रसूल ने मना किया उसे न सुनें। ज़ुबान का रोज़ा यह है कि जिस बात को बोलने से ने मना किया उसे न बोलें। हाथ का रोज़ा यह है कि जिस काम को करने से अल्लाह और उसके रसूल ने मना किया उसे न करें। पैर का रोज़ा यह है कि जिस तरफ़ जाने से ने मना किया उधर न जाएं। दिमाग़ का रोज़ा यह है कि जिस बात को सोचने से अल्लाह और उसके रसूल ने मना किया उसे न सोचें। 
इसी के साथ-साथ यह भी है कि जिन कामों को हमारे रब और हमारे पैगंबर ने पसन्द किया उन्हें किया जाए। केवल अल्लाह और उसके रसूल के बताए गए तरीक़े के अनुसार रोज़ा रखना ही इंसान को लाभ पहुँचाता है। यही वजह रही कि आज रमजान उल मुबारक के पहले जुमा पर मस्जिदों में नमाज अदा करने वालों का हुजूम देखने को मिला मस्जिद में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए मस्जिद प्रबंधन अंजुमन इस्लामिया कमेटी के मोहम्मद फरमान खान, हलीम खान, सरदार खान, अकील खान, बल्लू खान उस्ताद, सईद खान डुरिया, उवेश खान, अमन खान, तौसीफ खान, लतीफ शाह, अकरम खान, आमिर खान, इमरान खान सहित सभी कमेटी के सदस्यों ने व्यवस्थाओं को संभाले रखा।

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