नहर मे पड रही दरार मरम्मत के नाम पर हर बार होता है लाखो रुपय का घोटाला
डबरा(बेजोड रत्न)। अनुभाग घाटीगांव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बड़ागांव मे बने डेम की नहर से लाखो लीटर पानी हो रहा लीकेज जिस पर जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए है जबकि हर साल मेंटेनेंस के लिए शासन स्तर से लाखों रुपया आता है उसके बावजूद नहरों से पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। मामला कुछ इस तरह से है ककेटो डेम से ग्वालियर के तिघरा डेम को पानी पहुंचाने वाली नहर मे कई जगह से लीकेज बड़ी भारी तादाद में हो गए हैं जिनमें से बड़े स्तर पर पानी लीकेज हो रहा है। नहर मे जहां छोटे-छोटे सुराखो से पानी लीकेज होता है उन स्थानों पर अब धीरे धीरे बड़ी-बड़ी दरार पडना शुरू हो गया है जिससे निकट भविष्य में सिंचाई हेतु पुरानी दिए जाने के अवसर पर किसानों को कहीं ना कहीं भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि दिनोंदिन बढ़ रही यह दरारे बड़ा आकार लेकर नहर को और क्षेत्र के किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
वही शासन से हर वर्ष नहरों के मेंटेनेंस और साफ-सफाई को लेकर लाखों रुपए का बजट जल संसाधन विभाग को दिया जाता है लेकिन जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नहरों के मेंटेनेंस और साफ-सफाई और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। और आए हुए बजट को गोलमाल करने में जुटे हैं। वही देखा जाए तो उपरोक्त नहर के बाहर और नहर कैनाल के अंदर इतने बड़े पेड लगे है जिनकी जडे नहर की दिवार मे दरार बना रही है, तो तमाम तरह का घास फूस भी नहरों में भरा पड़ा हुआ है। जिससे जिस तीव्र गति से नहर के माध्यम से पानी ग्वालियर के तिघरा डैम के लिए पहुंचना चाहिए उस गति के साथ पानी नहीं पहुंच पा रहा है जबकि लाखों लीटर पानी प्रतिदिन नहरों के अंदर हुए लीकेज से व्यर्थ मै बर्बाद हो रहा है।
वही देखा जाए तो एक और आम इंसान से लेकर मवेशी भी पानी की समस्या से परेशान बने हुए हैं वही घाटीगांव ब्लॉक के कई ऐसे गांव हैं जहां भारी जल संकट बना हुआ है लेकिन जल संसाधन विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही और अनदेखी के कारण नेहरों के माध्यम से जो पुरानी ग्वालियर में पेयजल हेतु तिघरा डैम में भेजा जा रहा है उसमें से अधिकतर पानी व्यर्थ में बर्बाद हो रहा है जबकि आम आदमी और मवेशी पानी के लिए त्राहि-त्राहि हो रहे हैं।
पानी छोड़ने के बाद नहीं होती मॉनिटरिंग......
जहां एक और नेहरू से छोड़े गए पानी की व्यर्थ में बर्बादी हो रही है नहर में हुए लीकेजो के कारण तो वही नहर से पानी छोड़ने के बाद जल संसाधन विभाग के उपयंत्री और एसडीओ से लेकर अन्य अमला नेहरू की मॉनिटरिंग करता है लेकिन घाटीगांव ब्लॉक में तैनात जल संसाधन विभाग के अधिकारी न तो नहरो की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और ना ही नेहरू से सीपेज हो रहे पानी से जिन किसानों को समस्या उत्पन्न हो रही है न उनकी साइट पर जाकर समस्या सुन रहे हैं। वहीं इनके कार्यालय की बात की जाए तो जब कभी संबंधित अधिकारी कार्यालय पहुंचते हैं वरना खाली समय में अपने घरों में लगे एसी रूम से बाहर नहीं निकलते हैं। क्षेत्र के कुछ किसानों ने जल संसाधन विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही पर अपना आक्रोश जताते हुए बताया कि जब जरूरत के वक्त नहर से सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है उस समय पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता है जबकि ग्वालियर में पेयजल सप्लाई हेतु दिए जा रहे पानी में से अधिकतर पानी नहर में से हुए लीकेज के माध्यम से व्यर्थ में बर्बाद हो रहा है जो कि जरूरत के वक्त सिंचाई के काम आ सकता था।
वही जब जल संसाधन विभाग ककैटो डैम के एसडीओ श्री गुप्ता से जब इस संबंध मैं चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हम इसमें कुछ नहीं कर सकते क्योंकि नहर कैनाल काफी पुरानी है और कई जगह लीकेज भी है नहर के मेंटेनेंस हेतु हमारे पास कोई बजट नहीं है शासन स्तर पर स्टीमेट बनाकर भेजा गया है अगर वहां से बजट आवंटित होता है तो निश्चित ही जो लीकेज और मेंटेनेंस की आवश्यकता है वह कार्य पूरा कराया जाएगा।