- पिता जी भूख से संतान को रोने नहीं देते

भिण्ड। वो चाहे सूक्ष्म हो स्थूल हो विश्वास होता है। पिता के रूप में ईश्वर हमारे पास होता है।। सुबह घर से निकलते शाम को वो लौट आते हैं। खुशी की थैलियां में कुछ न कुछ सामान लाते हैं। कहां से लाए ये एहसास भी होने नहीं देते।पिताजी भूख से संतान को रोने नहीं देते। पिता इतिहास है सबका पिता भूगोल होता है। पिता के रूप में ईश्वर हमारे पास होता है। कविता की ये पंक्तियां राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित कवि डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने ग्राम बड़ेतर, विकास खण्ड लहार जिला भिण्ड में दिनाँक 17 फरवरी 2024 को स्व. ठा.बाबू सिंह गुर्जर की पुण्य स्मृति में हनुमंत सिंह गुर्जर सरपंच बड़ेतर द्वारा आयोजित विराट उजास कवि सम्मेलन में व्यक्त किये तो उपस्थित श्रोताओं ने तालियां बजाकर भरपूर समर्थन दिया। रौन जनपद पंचायत अध्यक्ष हरनाम सिंह गुर्जर मुख्यअतिथि, सुकांड गोरमी के नरोत्तम सिंह गुर्जर अध्यक्ष तथा पुलंदर सिंह गुर्जर परीक्षित के रूप में उपस्थित रहे। संयोजन व संचालन डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला भिण्ड ने किया। लहार से पधारे कवि हरिहर सिंह मानसभृंग ने सरस्वती वंदना से शुभारम्भ करते हुए शानदार कविता पाठ किया। मुरैना से आए सांड मुरैनवी ने हास्यरस इटावा के रोहित चौधरी ने किसानों की पीड़ा सुनाई। भिण्ड के भरत त्रिपाठी की कविता को भरपूर तालियां मिलीं। जितेन्द्र त्रिपाठी अमित ने दोहे, उरई के कवि वीरेंद्र तिवारी ने शहीदों को याद किया। टूंडला के राम राहुल ने कविता सुनाकर गुदगुदाया। दशरथ सिंह गुर्जर रिटायर्ड फौजी, देवेंद्र सिंह गुर्जर पूर्व सरपंच, लवकुश सिंह गुर्जर ठेकेदार, राजपाल सिंह गुर्जर पहलवान शिक्षक ने कवियों का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।

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