- लाखों खर्च फिर भी जलकुंभी से पटा गौरी सरोवर

-स्वच्छता अभियान की सरोवर पर खुल रही पोल, आखिर प्यार भिंड, हमारा भिंड कैसे होगा स्वच्छ भिण्ड। भृष्टाचार कैसे होता है सीधा देखा जा सकता है, गौरी सरोवर पर जो शहर के मध्य में स्थित है, और भिण्ड की पहिचान इसी गौरी सरोवर से है, इसकी सौन्दयर्ता के लिए लाखों नहीं करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष भिण्ड नगरपालिका खर्च करती है, लेकिन इसमें नपा सीएमओ से लेकर ठेकेदार ऐसे हैं जो सिर्फ फोटोबाजी करके सौन्दर्यता का बखान करके गौरी के विकास के नाम पर लूट मचाके रख देते है, जरा भी इनका जमीर जागता तो गौरी सरोवर वाकई में आज अपने आप में सौन्दयर्ता की मिशाल होती, लेकिन इनको सौन्दर्यता गौरी सरोवर की नहीं अपने आपकी करनी थी, और कर भी ली जिनको खाने को दाना नसीव नहीं थे वह ठेकेदार आज फोरवीलर गाडिय़ों को मेंटन करते हुये बड़ी-बड़ी बातें करते देखे जा सकते है, आज गौरी सरोवर अपने आप में शर्मिदा है, क्योंकि विकास तो हुआ नहीं और ऊपर से जलकुंभी से और पाट दिया गया, इस जलकुंभी को रोकने की बजाय नगरपालिका इसका समुचित उपाए इसलिए नहीं करती क्योंकि जलकुंभी को निकालने के लिए करोड़ों रूपये की मशीनरी लाकर इसकी सफाई करना दिखाया जाता है, लेकिन शहरवासी कहते हैं काश नगरपालिका एक दो लाख रूपये की जाली लगा देती तो यह जलकुंभी गौरी में आती ही नहीं, लेकिन स्थायी व्यवस्था के नाम पर भिण्ड नगरपालिका में भृष्टाचार किया जा रहा है, आज गौरी सरोवर मार्ग से जो भी गुजर रहा है वह यही कह रहा है कि कहाँ गया गौरी के लिए स्वीकृत हुआ पैसा किसी को नहीं दिख रहा सब मजे में है, और जलकुंभी से गौरी सरोवर पट गया है, गौरी सरोवर को तुम ही बचाओ पृथ्वीराज चौहान क्योंकि भिण्ड नगरपालिका इसमें अक्षम है।

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