- ये पब्लिक है.. सब जानती है -भ्रष्टाचार पर घिरी भाजपा -डेमेज कंट्रोल के लिए रामजी का ही सहारा

किसान आंदोलन, मंहगाई और बेरोजगारी जैसे मुददों के बाद अब इलेक्टोरल बांड और भ्रष्टाचार का मसला भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। चुनाव से पहले दिगर दलों के कई ऐसे नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसे में पार्टी नेताओं को जनता के सामने जवाब देना मुश्किल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया था अब भाजपा में ही भ्रष्टाचारियों की फौज खड़ी हो गई है लिहाजा ये मुददा उलटा पड़ता दिख रहा है। इसी तरह गैरभाजपाई नेताओं के यहां ईडी के छापे पर छापे पड़ रह थे लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद ईडी भी सुस्त पड़ जाती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सीना ठोकने वाली भाजपा के अतीत में तो तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का मामला ताज़ा हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को सन 2001 तहलका स्टिंग मामले में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था। यह मामला कथित हथियार सौदे से संबंधित था। उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा जिन राज्यों में भाजपा की सरकार थी या है वहां हजारों करोड़ के घोटाले मय सबूत सामने आ चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुल मिलाकर, भाजपा के पास रामजी के नाम के अलावा कुछ ऐसा नहीं दिख रहा जो 400 पार के नारे को हकीकत में बदल सके। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी आरोप लगा चुके हैं कि चुनावी बॉन्ड के नाम पर घोटाला किया गया है। घाटे वाली कंपनियों ने बीजेपी को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा दिया है। इलेक्टोरल बांड के जरिए भाजपा ने 60 अरब से ज्यादा इनकैश किए हैं। संजय सिंह ने कहा था कि 33 कंपनियों को एक लाख करोड़ का घाटा हुआ है लेकिन 450 करोड़ रुपये का चंदा बीजेपी को दिया है। वहीं, एक कंपनी अपने मुनाफे का 93 गुना चंदा दिया। 6 कंपनियों ने बीजेपी को 600 करोड़ का चंदा दिया। 17 कंपनियों ने 0 टैक्स दिया है। 6 कंपनियों ने 600 करोड़ दिए। 1 कंपनी ने अपने मुनाफे से तीन गुना ज्यादा चंदा दिया। 3 कंपनियों ने जीरो टैक्स भरा और करोड़ों का चुनावी दिया। एयरटेल ने 200 करोड़ का चंदा दिया। उसे 77 करोड़ का घाटा हुआ और 8000 करोड़ की टैक्स में छूट मिली। वहीं, 130 करोड़ के घाटे वाली कंपनी को 20 करोड़ की टैक्स में छूट मिली और उसने 25 करोड़ का चंदा बीजेपी को दिया। उन्होंने कहा कि एक कंपनी है धारीवाल, इसने 115 करोड़ का बॉन्ड खरीदा। भाजपा को 25 करोड़ दिए. कंपनी को 299 करोड़ का घाटा हुआ। एक कंपनी ने जीरो टैक्स दिया। 20 करोड़ का बॉन्ड खरीदा, 10 करोड़ बीजेपी को दिए इस कंपनी को 1550 करोड़ का घाटा हुआ था। इसे 4.7 करोड़ टैक्स में छूट मिली। वहीं, शरद रेड्डी की कंपनी ने 15 करोड़ का बॉन्ड खरीदा और बीजेपी को करोड़ों दिए, इस कंपनी को 7 सालों में 28 करोड़ का घाटा हुआ और 7 करोड़ 20 लाख टैक्स छूट मिली। आम आदमी पार्टी के अलावा विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि पिछले 9 साल में ईडी और सीबीआई ने बीजेपी के नेताओं के यहां कोई कार्रवाई नहीं की जबकि कई नेताओं पर पहले केस दर्ज हैं। कुछेक नेताओं पर पहले सीबीआई और ईडी का एक्शन हुआ, लेकिन जैसे ही नेता बीजेपी में शामिल हुए उन पर कार्रवाई रोक दी गई। विपक्ष का आरोप है कि जिन राज्यों में बीजेपी कमजोर है, वहां पर ईडी-सीबीआई और आईटी को एक्टिव किया जाता है। फिर कई नेताओं को डराया जाता है. डर से जो बीजेपी में जाने को तैयार हो जाते हैं, उन पर कार्रवाई नहीं होती है। बतौर उदाहरण, कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे हिमंत बिस्वा शर्मा पर शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया था। सरमा पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से 20 लाख रुपए हर महीने लिए, जिससे ग्रुप का कामकाज बेहतर तरीके से चल सके। सरमा से अंतिम बार सीबीआई ने 27 नवंबर 2014 को पूछताछ की थी। अगस्त 2015 में हिमंत भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद सीबीआई ने हिमंत की फाइल बंद कर दी, हिमंत अभी असम के मुख्यमंत्री हैं। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी से सीबीआई ने शारदा घोटाले में पूछताछ शुरू की थी। उन पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से फेवर लिया था। शुभेंदु पर बाद में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने का आरोप लगा, जिसकी जांच ईडी ने शुरू की। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि शुभेंदु जब टीएमसी में थे, तब जांच एजेंसी उन्हें परेशान कर रही थी, लेकिन जैसे ही बीजेपी में गए तो सारे मामले में उन्हें क्लिन चिट मिलने लगी। 2022 में बंगाल पुलिस ने शुभेंदु के खिलाफ शारदा घोटाले में जांच शुरू की। शुभेंदु वर्तमान में बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता हैं। पश्चिम बंगाल- आसनसोल के नेता जितेंद्र तिवारी ने वर्ष 2021 में तृणमूल छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। उस वक्त मोदी सरकार में मंत्री रहे बाबुल सुप्रीयो ने इसका खुलकर विरोध किया था। कोयला तस्करी के आरोप में घिरे तिवारी के भाजपा में जाने के बाद सीबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की। महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव गुट का आरोप है कि नारायण राणे को भी बीजेपी ने वाशिंग मशीन में डालकर पाक-साफ कर दिया है। राणे अभी मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने उन पर आदर्श सोसायटी मामले में हेरफेर का आरोप लगाया था। साल 2012 में सोमैया ने सीबीआई को 1300 पन्नों का एक दस्तावेज भी सौंपा था। साल 2017 में किरीट सोमैया ने ईडी को पत्र लिखकर नारायण राणे की संपत्ति जांच करने की मांग की थी। सन 2019 में नारायण राणे बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। शिवसेना उद्धव गुट का आरोप है कि राणे को लेकर सीबीआई और ईडी ने जांच रोक दी है। दक्षिण भारत के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री बने बीएस येदियुरप्पा को तो जेल तक जाना पड़ा। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। येदियुरप्पा को 15 अक्तूबर, 2011 को गिरफ्तार किया गया था। विशेष लोकायुक्त अदालत ने उन्हें सरकारी भूमि को दर्शाने में कथित अनियमितताओं में आरोपी पाया। सीने में दर्द के कारण उन्हें 16 अक्तूबर को अस्पताल भेजा गया। इसके बाद वह 17 तारीख को जेल वापस आ गए और उन्हें उसी शाम दोबारा दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 25 दिन जेल में बिताने के बाद वह 8 नवंबर, 2011 को रिहा हो गए। कर्नाटक में बीजेपी लीडर बीएस येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। येदियुरप्पा को इसकी वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। येदियुरप्पा पर 2011 में 40 करोड़ रुपए लेकर अवैध खनन को शह देने का आरोप लगा था और लोकायुक्त ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। सन 2013 के चुनाव में येदियुरप्पा अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़े, जिससे बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके बाद उनकी की घर वापसी हुई। वर्ष 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने येदियुरप्पा को क्लीन चिट दे दी थी। महाराष्ट्र में सन 2009 से 2014 तक मनसे के विधायक रहे प्रवीण डारेकर पर 2015 में मुंबई कॉपरेटिव बैंक में 200 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था। बीजेपी ने इस मामले को जोर शोर से उठाया, जिसके बाद आर्थिक अपराध शाखा को केस की जांच सौंपी गई। सन 2016 में डारेकर बीजेपी में शामिल हो गए और विधान परिषद पहुंच गए। साल 2022 में आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। डारेकर अभी मुंबई कॉपरेटिव बैंक सोसाइटी के अध्यक्ष हैं। गुजरात में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर बीजेपी सरकार के दौरान राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। हार्दिक को इसकी वजह से तड़ीपार भी रहना पड़ा था। हार्दिक पर 20 केस दर्ज किए गए थे। पटेल गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस का आरोप है कि राजद्रोह केस में बचने के लिए हार्दिक ने यह कदम उठाया। हार्दिक वीरमगाम से विधायक भी निर्वाचित हुए। इनके अलावा सोवन चटर्जी, यामिनी जाधव और भावना गवली जैसे नेताओं पर भी जांच एजेंसी ने कोई एक्शन नहीं लिया, क्योंकि सभी बीजेपी या उनके सहयोगी पार्टी में चले गए। महाराष्ट्र के नेता अजित पवार पर 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का आरोप सन 2014 से पहले भाजपा ने लगाए थे। इस मामले की जांच ईओडब्लयू को सौंपी गई थी। अजित पवार को लेकर बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पवार को जेल में चक्की पीसने की बात कह रहे थे। सन 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई। पश्चिम बंगाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय पर सन 2015 में शारदा घोटाले में पैसा लेकर चिटफंड कंपनी फेवर देने का आरोप लगा था। रॉय ने वर्ष 2017 में भाजपा ज्वाइन कर ली जिसके बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। साल 2019 में रॉय ने दावा किया कि सीबीआई ने इस मामले में उन्हें क्लिन चिट दे दी है और गवाह के तौर पर सिर्फ पूछताछ की है। गुजरात में 6000 करोड़ का कोयला घोटाला, वर्ष 2008 से 2022 के बीच 60 लाख टन कोयला गायब होने का आरोप लगा था। केवल सी.आई.डी. जांच हुई लेकिन इसके बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई। हरियाणा के रोहतक के भाजपा सांसद अरविन्द शर्मा ने ही रोहतक जिले में मिशन अमृत के अंतर्गत मिले 400 करोड़ में धांधली का आरोप लगाया था। सन 2022 के इस मामले में जांच नहीं हुई। इसी तरह मुख्यमंत्री खट्टर के प्रिंसिपल ओ.एस.डी. नीरज दफ्तुआर पर लैंड डील को लेकर गंभीर आरोप लगाये गए। आरोपों को देखते हुए प्रिन्सपल ओ.एस.डी. ने अक्टूबर 2022 में पद से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में कोई जांच नहीं हुई। सन 2020 में कुरूक्षेत्र के ज्योतिसर थीम पार्क के निर्माण में अनेक गंभीर अनियमिततओं एवं करोड़ो के भ्रष्टाचार होने के आरोप लगे थे। इन आरोपों की कोई जांच नहीं हुई। वर्ष 2016 में हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती में विभिन्न पदों के लिये 20 लाख से 50 लाख रिश्वत के आरोप थे। लोक सेवा आयोग के उप-सचिव अनिल नागर ने स्वयं विजिलेंस विभाग को यह जानकारी दी थी। इस मामले में कोई कार्रवाई हुई हो ऐसा लगता नहीं। उत्तर प्रदेश में कोरोना किट की खरीदी मंे करोड़ों इधर से उधर हो गए। 65 जिलों की 1 लाख पंचायतों में कोविड के दौरान कोरोना किट खरीदने में करोड़ो का कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ। ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, सैनिटाइजर एवं मास्क की खरीदी बाजार दर से 3 से 5 गुना अधिक दरों पर खरीदी गई। 2200 करोड़ का प्रोविडेन्ट फन्ड घोटाला सामने आया था, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यू.पी.पी.सी.एल.) के चेयरमैन के कर्मचारियों के पी.एफ. की राशि मुम्बई की एक प्राइवेट कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में फिक्स डिपॉजिट में जमा कर दी, वर्ष 2019 में विजिलेंस की जांच हुई लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। बरेली का चिटफंड घोटाला सामने आया था, चिटफंड कंपनी डायमन्ड इन्फ्रालेंड डेवलपर्स नाम की कंपनी ने 5000 लोगो के 300 करोड़ की जमा राशि लेकर फरार हो गई, सन 2020 के इस मामले में एफ.आई.आर. भी हुई लेकिन आगे कुछ हुआ नहीं। छत्तीसगढ़ में भी तत्कालीन भाजपाई मुख्यमंत्री रमन सिंह के राज के घोटाले सामने आए थे। रमन सिंह के कार्यकाल के 15 साल में छत्तीसगढ़ में 1 लाख करोड़ का घोटाला हुआ। नान घोटाला, चिटफंड घोटाला, शराब घोटाला, पनाम पेपर्स घोटाला, गौशाला अनुदान घोटाला, इंदिरा बैंक घोटाला जैसे घोटाले जिसमें सीधे मनी लॉन्ड्रिंग हुई थी, इन सबकी ईडी या किसी अन्य एजेंसी से कोई जांच नहीं हुई। रमन सिंह के शासनकाल के करीब तीन दर्जन घोटालों की सूची सार्वजनिक हुई थी। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान व्यापम घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में सी.बी.आई. जांच तो हुई लेकिन कार्यवाही नहीं। इसी तरह हजारों करोड़ का ई टेंडरिंग घोटाला सामने आया जिसके बाद ई.ओ.डब्ल्यू में प्रकरण दर्ज किया गया लेकिन इसमें भी किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। सीएजी रिपोर्ट में पोषण आहार घोटाला उजागर हुआ था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। शौचालय निर्माण में 540 करोड़ का शौचालय घोटाला सामने आया था। 4.5 लाख शौचालय कागजों पर ही बन गए लेकिन इस मामले में भी कोई जांच नहीं की गई। नर्मदा किनारे वृक्षारोपण किए जाने की योजना थी जिसमें घोटाला उजागर होने के बाद ई.ओ.डब्ल्यू. में प्रकरण दर्ज किया गया। अवैध रेत खनन और डम्पर कांड उजागर हुआ था। ये मामला तब प्रहलाद पटेल ने उछाला था जो इस वक्त मोदी सरकार में मंत्री हैं। डम्पर कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था लेकिन किसी अन्य एजेंसी की जांच हुई हो और किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई तो किसी को कुछ पता नहीं है। कुछ महीनों पहले ही महाकाल कारिडोर घोटाला सामने आया। सैकड़ों करोड़ की राशि से काॅरिडोर बनाया गया है। थोड़ी बारिश और आंधी मंे ही महाकाल काॅरिडोर की मूर्तियां खंडित हो गईं। महाकाल काॅरिडोर का मामला तो आस्था से जुड़ा हुआ था बावजूद इसके इस मामले में कोई जांच और दोषी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। घोटालों के आरोप प्रत्यारोप की बात की जाए तो ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान ही घोटाले सामने आए हों। भाजपा सरकार के केन्द्र में रहने के दौरान और देश के जिन राज्यों में भाजपा की सरकार रही है या है वहां भी घोटालों की फेहस्ति काफी लंबी है। मसलन, कारगिल ताबूत घोटाले, कारगिल उपकर दुरूपयोग घोटाला। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री प्रमोद महाजन के वक्त दूरसंचार घोटाले (रिलायंस), अरुण शौरी निजी खिलाड़ियों को बेलआउट पैकेज यूटीआई घोटाले, साइबर स्पेस इन्फोसिस लिमिटेड घोटाले, पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी आवंटन घोटाले, जूदेव घोटाले सेंटूर होटल में डील, दिल्ली भूमि आवंटन घोटाले, हुडको घोटाले राजस्थान में, बेल्लारी खनन और रेड्डी ब्रदर्स घोटाले, मध्य प्रदेश में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट घोटाले, कर्नाटक में भूमि आवंटन (येदियुरप्पा), येदियुरप्पा सरकार में कोविड के दौरान 40 हजार करोड़ के चिकित्सा घोटाले के आरोप, पंजाब रिश्वत मामले, उत्तराखंड पनबिजली घोटाले, छत्तीसगढ़ खानों में भूमि घोटाले, पुणे भूमि घोटाले (भाजपा नेता नितिन गडकरी पर भी आरोप), उत्तराखंड में गैस आधारित पावर प्लांट घोटाले, फर्जी पायलट घोटाले सुधांशु मित्तल और विजय कुमार मल्होत्रा पर आरोप, बीएसएनएल विनिवेश घोटाले में अरूण शौरी पर आरोप, अरविंद पार्क लखनऊ घोटाले, आईटी दिल्ली प्लॉट आबंटन घोटाले, चिकित्सा प्रोक्योर्मेंट घोटाला, बाल्को विनिवेश घोटाले, जैन हवाला मामले में लालकृष्ण आडवाणी पर आरोप, 35 हजार करोड़ का खाद्यान घोटाला, चांवल निर्यात घोटाला, उड़ीसा खदान घोटाला, स्टाम्प घोटाला, गृह निवेश घोटाला, शेयर घोटाला, म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, उर्वरक आयात घोटाला, यूरिया घोटाला, नीरव मोदी मामला, मेहुल चोकसी मामला, पंकजा मुंडे (चिक्की घोटाला), राफेल घोटाला, राजस्थान में वसंुधरा सरकार में खान आवंटन घोटाला, मप्र में शिवराज सिंह चैहान सरकार के दौरान का व्यापम घोटाला, छत्तीसगढ़ का 36000 करोड का चावल घोटाला, पंजाब का 12000 करोड का गेहुं घोटाला, राजस्थान का माईंस घोटाला, मनुस्मृति का बुक्स घोटाला, ललित गेट, गुजरात का जमीन घोटाला, हेमा मालिनी जमीन घोटाला, एलईडी बल्ब घोटाले, गुजरात में मोदी ने 1 लाख 25 हजार करोड का हिसाब ही नही दिया सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार। महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे का 206 करोड़ का घोटाला। 271 करोड़ का कार बाइक घोटाला हैदराबाद में वैंकया नायडू के पुत्र आरोपी है। मोदी राज में गुजरात का 27000 करोड़ का टैक्स घोटाला, 1 रुपये मीटर के भाव अदानी को 16000 एकड़ जमीन का घोटाला। स्मार्ट सिटी की बिना किसी जमीनी आधार दस्तावेज वाली योजना के नाम पर 1 लाख करोड़ का आवंटन का एक और घोटाला। पिछली सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम का 20 प्रतिशत भाग बेचा था 62000 करोड़ रुपए में, तब 1,76,000 करोड़ का घाटा बताया था, अब मोदी जी ने बचा हुआ 80 प्रतिशत स्पेक्ट्रम 1,10,000 करोड़ में 20 साल की उधारी में बेच दिया जिसकी ब्याज सहित 21 लाख करोड़ कीमत थी। खैर, इन में से कई घोटालों के सबूत सामने आ चुके हैं तो कई घोटाले आरोपों की बुनियाद पर हैं। लेकिन, ये पब्लिक है सब जानती है...... कि हमाम सब एक जैसे हैं।

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