मस्कटभारत और ओमान एक अहम व्यापार समझौता करने जा रहे हैं। भारत पश्चिम एशिया में अपने संबंधों का विस्तार कर ओमान के साथ ट्रेड डील पर हस्ताक्षर करेगा। पश्चिम एशिया में अपनी पकड़ बढ़ाने के साथ-साथ ईरान-इजरायल तनाव की वजह से हो व्यापार में हो रही परेशानी से भारत इस डील से पार पा सकता है। ओमान से भारत को आसानी से माल पश्चिम एशिया में भेजने का रास्ता मिलेगा है। भारत सरकार के दो अधिकारियों ने बताया कि भारत और ओमान आने वाले महीनों में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले है। रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम एशिया में बढ़ा तनाव प्रमुख शिपिंग मार्गों को खतरे में डाल रहे हैं। इसके बाद भारत खाड़ी क्षेत्र में अपने संबंधों का विस्तार करना चाह रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि इससे भारत को एक रणनीतिक साझेदार और अस्थिर क्षेत्र में प्रमुख व्यापार मार्गों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। भारत और ओमान के बीच वार्षिक व्यापार 13 अरब डॉलर से कम है लेकिन दोनों देशों के रिश्ते की अहमयित काफी है। भारत के लिए ओमान इसकारण महत्वपूर्ण है क्योंकि ओमान और ईरान के बीच होर्मुज की संकीर्ण जलडमरूमध्य का प्रवेश द्वार है, जो वैश्विक तेल शिपमेंट के लिए एक प्रमुख बिंदु है। ओमान-भारत के बीच समझौते पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि व्यापार सौदे के लिए उस सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है, जो भारत में चल रहे राष्ट्रीय चुनावों में जीत हासिल करेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय और भारत में ओमान के दूतावास और विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कोई कमेंट नहीं किया है। खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ समझौते पर बहुत कम प्रगति करते हुए भारत ने ओमान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे जीसीसी सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते की मांग की है। अधिकारी ने कहा, ओमान के साथ ये डील प्रतिस्पर्धी बढ़त भी देता है क्योंकि जीसीसी पाकिस्तान और चीन के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि ओमान कृषि उत्पादों, आभूषण, चमड़ा, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरणों, इंजीनियरिंग उत्पादों और वस्त्रों का वार्षिक तीन अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर शुल्क खत्म करने पर सहमत हुआ है। भारत ओमान से पेट्रोकेमिकल, एल्युमीनियम और तांबे पर शुल्क कम करने पर सहमत हुआ है।