- नागदा में 2 लाख की आबादी के लिए 35 बेड का सिविल अस्पताल? परेशान प्रभारी अधिकारी ने दिया इस्तीफा

नागदा में 2 लाख की आबादी के लिए 35 बेड का सिविल अस्पताल? परेशान प्रभारी अधिकारी ने दिया इस्तीफा

उज्जैन समाचार: उज्जैन में स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

MP News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन की स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। नागदा तहसील में 2 लाख की आबादी के लिए 35 बिस्तरों का सिविल अस्पताल है। सिविल अस्पताल सिर्फ दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है। कर्नाटक के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत का भी नागदा से नाता है। थावरचंद गहलोत का पूरा परिवार सालों से नागदा में रह रहा है। 35 बिस्तरों वाले सिविल अस्पताल में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के पद पर डॉ. गौरव पटेल पदस्थ थे।

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स्टाफ की कमी के चलते उन्होंने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद गौरव पटेल अब डॉक्टर के तौर पर सेवाएं देंगे। डॉ. गौरव पटेल ने बताया कि नियम के मुताबिक 35 बिस्तरों और 2 लाख की आबादी के बीच सिविल अस्पताल में आठ डॉक्टर तैनात होने चाहिए। आठ में से चार डॉक्टर एमबीबीएस और चार अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होने चाहिए। आठ के मुकाबले सिर्फ दो डॉक्टर ही सेवाएं दे रहे हैं। दो में से एक डॉक्टर स्त्री रोग विशेषज्ञ है।

स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल

डॉक्टर गौरव पटेल का कहना है कि उन्होंने सिविल अस्पताल में स्टाफ बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने यहां तक ​​बताया कि जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्हें नौकरी से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने बताया कि पहले सिविल अस्पताल में तीन डॉक्टर पदस्थ थे। एक डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। डॉक्टर पटेल का कहना है कि स्टाफ की कमी को लेकर उन्होंने कई बार विधायक और सीएमएचओ को पत्र लिखा है। वर्तमान में सिविल अस्पताल 13 नर्सिंग स्टाफ के सहारे चल रहा है। नियमानुसार सिविल अस्पताल में 20 लोगों का नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए।

एक डॉक्टर पर कितनी जिम्मेदारी?

डॉक्टर गौरव पटेल का कहना है कि एक डॉक्टर पर ओपीडी, एमएलसी समेत कई जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ होने के साथ ही उन्हें ओपीडी से लेकर पोस्टमार्टम तक सब करना और करवाना होता है। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को अच्छा इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। इसलिए डॉक्टरों की कमी को दूर करने पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

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