MP News: अगर तेंदूखेड़ा ब्लॉक में संचालित सरकारी स्कूलों की बात करें तो आज भी बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षक नहीं हैं, जबकि कई स्कूल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के साथ ही हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है।
दमोह जिले के सरकारी स्कूलों में सितंबर माह से त्रैमासिक परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं, लेकिन स्थिति यह है कि स्कूल खुलने के तीन माह बाद भी कई ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ठीक से शुरू नहीं हो पाई है। शिक्षकों की कमी के चलते अभी तक स्कूलों में कई विषयों की किताबें नहीं खुल पाई हैं। जिसके चलते छात्र भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे परीक्षा में क्या लिखेंगे।
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जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के सरकारी स्कूलों का भी यही हाल है। यहां पढ़ाई का आधार अभी भी शून्य है। निजी स्कूलों में 20 फीसदी पढ़ाई हुई है, जबकि सरकारी स्कूलों में पांच फीसदी भी नहीं हुई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पिछड़ने के तीन बड़े कारण हैं, पहला शिक्षकों की कमी, दूसरा शिक्षकों का मनमाने ढंग से स्कूल आना और तीसरा तीन माह बाद भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति न होना।
कई स्कूल शिक्षकविहीन अगर तेंदूखेड़ा ब्लॉक में संचालित सरकारी स्कूलों की बात करें तो आज भी बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षक नहीं हैं, जबकि कई स्कूल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के साथ ही हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है। पहले ये स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे थे, लेकिन इस साल अभी तक स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। स्कूल के विद्यार्थियों का कहना है कि वे सुबह स्कूल तो आ जाते हैं, लेकिन अधिकांश समय कक्षाओं में खाली बैठे रहते हैं।
अगर स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी?
समनापुर स्कूल में तीन शिक्षक समनापुर में संचालित हाईस्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि उनके स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह से ठप है। इसी माह से तिमाही परीक्षा शुरू होनी है, लेकिन स्कूल में पढ़ाई नहीं हुई है। कुल तीन शिक्षक हैं, जिनमें से दो नियमित और एक अतिथि शिक्षक है। प्राचार्य के पास सरकारी काम है, दो शिक्षक एक-दो विषय ही पढ़ाते हैं। कुछ विषय तो ऐसे हैं, जिनकी किताबों का सिलेबस भी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में स्कूली बच्चों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि परीक्षा के दौरान हम क्या लिखेंगे।
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तेंदूखेड़ा ब्लॉक में 12वीं तक एक निजी स्कूल भी है। जहां, स्कूल खुलने के पहले दिन से ही सभी विषय पढ़ाए जाने लगे हैं। आज की स्थिति में निजी स्कूलों में 15 फीसदी विषय पढ़ाए जा चुके हैं, जबकि तेंदूखेड़ा ब्लॉक में कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां कई विषयों की पढ़ाई अभी शुरू नहीं हो पाई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को लेकर तेंदूखेड़ा बीईओ नितेश पांडे का कहना है कि शिक्षकों की कमी है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया ऊपर से रोक दी गई है, लेकिन शासन से निर्देश होंगे तो परीक्षा करानी पड़ेगी।