नई दिल्ली: दिल्ली में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मांग के बीच विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि शहर की सरकार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस मांग के पीछे के कारणों की व्याख्या करनी पड़ सकती है।
नई दिल्ली: दिल्ली में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मांग के बीच विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि शहर की सरकार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस मांग के पीछे के कारणों की व्याख्या करनी पड़ सकती है। हालांकि विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में चुनाव कब कराने हैं, इस बारे में अंतिम निर्णय चुनाव आयोग लेगा।
दिल्ली की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल अगले साल फरवरी में समाप्त हो रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2025 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। केजरीवाल ने रविवार को मांग की कि दिल्ली में नवंबर में महाराष्ट्र के साथ विधानसभा चुनाव कराए जाएं। महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है।
भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व कानून से परिचित विशेषज्ञों ने कहा कि दिल्ली सरकार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर यह बताना पड़ सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव जल्दी क्यों कराए जाने चाहिए, लेकिन इस संबंध में अंतिम निर्णय आयोग ही लेगा।
नाम न बताने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने कहा, "कानूनी तौर पर चुनाव आयोग के पास महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने का अधिकार है, लेकिन पिछले मौकों पर दिल्ली में अलग-अलग चुनाव हुए हैं। चुनाव आयोग के पास महाराष्ट्र और दिल्ली में एक साथ चुनाव कराने का कोई कारण तो होना ही चाहिए।"
विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि दिल्ली में मतदाता सूची जनवरी में अपडेट की जाएगी और इसकी पात्रता तिथि 1 जनवरी है। जब मतदाता सूची अपडेट हो जाएगी, तो नए पंजीकृत मतदाता अपना वोट डाल सकेंगे। उन्होंने कहा, "इसलिए चुनाव आयोग योजना के अनुसार दिल्ली में चुनाव कराने का फैसला कर सकता है।"
आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'दिल्ली में फरवरी में (विधानसभा) चुनाव होने हैं, लेकिन मेरी मांग है कि राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर में होने चाहिए।'