- देशभर में प्रसिद्ध है गोदड़ीवाला धाम, पाकिस्तान के सिंध से भी आते हैं सिंधी समुदाय के श्रद्धालु

देशभर में प्रसिद्ध है गोदड़ीवाला धाम, पाकिस्तान के सिंध से भी आते हैं सिंधी समुदाय के श्रद्धालु

वैसे तो इस धाम में अनेक उत्सव, समारोह और कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, लेकिन वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले संतों की पुण्यतिथि महोत्सव का विशेष आकर्षण होता है। वर्ष में एक बार पाकिस्तान से लगभग 200 श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

राजधानी के देवपुरी इलाके में सिंधी समुदाय का प्रसिद्ध गोदरीवाला धाम स्थित है। देशभर में सिंधी समुदाय के लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह धाम तीर्थ स्थल के समान है। यहां सिंधी समुदाय के दो प्रसिद्ध संतों की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

 देशभर के श्रद्धालुओं के अलावा पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहने वाले श्रद्धालु भी प्रतिमा के दर्शन कर आशीर्वाद लेने आते हैं। वैसे तो इस धाम में कई उत्सव, समारोह और आयोजन होते रहते हैं, लेकिन साल में दो बार आयोजित होने वाले संतों की पुण्यतिथि महोत्सव की खास रौनक होती है

वर्ष में एक बार पाकिस्तान से करीब 200 श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ये श्रद्धालु शहर के गोदड़ीवाला धाम, शदाणी दरबार के साथ ही देशभर के तीर्थ स्थलों पर भी जाते हैं।

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सेवा और दान की मिसाल बने संत गेलाराम

गोदड़ीवाला धाम के संत बाबा गेलाराम ने घर-घर में सेवा और दान की भावना फैलाई। कई वर्षों तक सेवा करने के बाद 10 दिसंबर 2008 को बाबा का देहांत हो गया। तब से हर वर्ष 10 दिसंबर को निर्वाण दिवस पर तीन दिवसीय भव्य आयोजन होता है।

इसके साथ ही 12 फरवरी को जन्मोत्सव पर तीन दिन तक भक्ति, सत्संग, रक्तदान, गरीबों को अनाज वितरण, सामूहिक जनेऊ संस्कार, सामूहिक विवाह आदि कार्यक्रमों की धूम रहती है।

दरबार परिसर में हिंदू धर्म की सभी जातियों के लोगों के लिए एक स्कूल चलाया जा रहा है। इस स्कूल में 300 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा हर माह की 12 तारीख को संत की जयंती पर दो हजार से अधिक लोग महाभोज में भोजन ग्रहण करते हैं।

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2009 में स्थापित हुई संत बाबा गेलाराम की प्रतिमा

संत गेलाराम ने देशभर के सिंधी समाज के लोगों को प्रेम, सद्भावना, सेवा और दान का संदेश दिया। 2008 में उनकी मृत्यु के एक साल बाद यानी 2009 में समाज के लोगों ने संत की समाधि बनवाई और उनकी प्रतिमा स्थापित की। धाम में पिछले 15 सालों से पुण्यतिथि महोत्सव मनाया जा रहा है।

इसमें देशभर से सिंधी समाज के संत, महात्मा और श्रद्धालु शामिल होते हैं। गोदरीवाला धाम परिसर में दूसरे शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं के रहने-खाने की व्यवस्था की जाती है। धाम की महंत अम्मा मीरादेवी हैं। सभी धार्मिक आयोजन गोदरीवाला धाम की महंत अम्मा मीरादेवी के मार्गदर्शन में होते हैं।

जलगांव के महंत देवीदास, शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिरलाल, चकरभाठा के संत साईं लालदास सहित अनेक संतों के मार्गदर्शन में हवन, ध्वजारोहण, बहिराणा साहिब के दर्शन, पल्लव साहिब आदि अनुष्ठान किए जाते हैं।

 गोदरी वाला धाम तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

 मान्यता है कि संत शदाराम साहिब का धूनी स्थल पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हयात पिताफी में है। इसी तरह संत बाबा गेलाराम की तपस्थली गोदरी वाला धाम है। सिंधी समाज के लोगों के लिए यह प्रेरणादायी तीर्थ स्थल है। बाबा गेलाराम ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष इसी धाम में बिताए थे।

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धाम की सेवा में जुटे सेवादार

गोदरीवाला सेवा मंडल व महिला मंडल के सदस्यों के अलावा दरबार के सेवादार अमर गिदवानी, राम खूबचंदानी, हरि इसरानी, ​​पवन प्रीतवानी, दिलीप इसरानी सहित 25 सेवादार दरबार में सेवा दे रहे हैं।

पुण्यतिथि महोत्सव 8 से 10 दिसंबर तक

गोदरीवाला धाम के सेवादार अमर गिदवानी, पवन प्रीतवानी ने बताया कि संत बाबा गेलाराम का तीन दिवसीय पुण्यतिथि महोत्सव 8 से 10 दिसंबर तक मनाया जाएगा। तीनों दिन निशुल्क स्वास्थ्य शिविर में थैलेसीमिया व अन्य बीमारियों की जांच की जाएगी।

35 साल पहले हुई थी धाम की स्थापना

35 साल पहले संत गेलाराम बाबा ने शहर के हृदय स्थल जयस्तंभ चौक से करीब सात किलोमीटर दूर धमतरी रोड पर देवपुरी गांव में गोदरीवाला धाम की स्थापना की थी। इससे पहले सिर्फ संत हरदासराम बाबा की पुण्यतिथि मनाई जाती थी।

संत गेलाराम के निधन के बाद उनकी पुण्यतिथि मनाने के साथ ही विभिन्न संस्कारों का आयोजन भी होने लगा है। निशुल्क औषधालय में रोजाना 200 से ज्यादा मरीजों का इलाज होता है।

 

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