ब्रिक्स (BRICS) देशों का एक प्रभावशाली गठबंधन है जिसमें विश्व की प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाया गया है। अमेरिका द्वारा इन देशों पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की घोषणा से वैश्विक व्यापार में और भी तनाव उत्पन्न हो सकता है। ट्रंप का आरोप है कि ब्रिक्स देशों का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर की शक्ति को कमजोर करना है, और इसी वजह से उन्होंने उन देशों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की योजना बनाई है।
ब्रिक्स देशों की यह कड़ी आलोचना, खासकर अमेरिकी व्यापार नीति के खिलाफ, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के नियमों के उल्लंघन के रूप में की जा रही है। ट्रंप के इस बयान ने कई देशों में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि यदि अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ते हैं, तो इसका असर सिर्फ इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार की गति पर भी पड़ेगा।
ब्रिक्स देशों का यह गठबंधन, खासकर चीन, भारत, और रूस जैसे बड़े देशों के साथ, वैश्विक मंच पर एक मजबूत आवाज़ के रूप में उभर चुका है। इन देशों ने संयुक्त रूप से कई बार कहा है कि अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियाँ वैश्विक व्यापार के लिए हानिकारक हो सकती हैं और एक नए आर्थिक युग की दिशा में यह कदम बाधक हो सकता है।
अमेरिका के इस कदम से एक नई व्यापारिक शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है, जहां इन देशों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है। हालांकि, इस स्थिति में ब्रिक्स देशों को एकजुट होने की और अपनी नीतियों को और प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता हो सकती है।
आपको क्या लगता है, क्या ब्रिक्स देशों को मिलकर इस टैरिफ नीति का मुकाबला करना चाहिए? या फिर कुछ अन्य रणनीति अपनानी चाहिए?