महाराष्ट्र में बीएमसी और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक पूरे होने वाले हैं। इसलिए, भाजपा ने पहले ही एक नया राजनीतिक अभियान शुरू कर दिया है। पार्टी घर-घर जाकर "मिठाई और नाश्ता" बाँट रही है।
मुंबई में आगामी बीएमसी चुनावों से पहले, भाजपा ने एक नया राजनीतिक अभियान शुरू किया है जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। पार्टी ने घर-घर जाकर "मिठाई और नाश्ता" बाँटना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह वितरण तुलसी विवाह तक जारी रहेगा। इन पैकेटों पर भाजपा का नारा "एक हैं तो सुरक्षित हैं" प्रमुखता से छपा है, जबकि इसके साथ ही एक और नारा, "बंटेंगे तो कट जाएँगे" भी छपा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह संदेश मतदाताओं में फूट और ध्रुवीकरण का संकेत देता है।
विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति
हालाँकि, विपक्ष ने इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे चुनावी हथकंडा बताया है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भाजपा बीएमसी चुनावों से पहले मतदाताओं को प्रभावित और भड़काने की कोशिश कर रही है। यूबीटी नेताओं का आरोप है कि भाजपा इस तरह के नारों और मिठाई वितरण अभियानों के ज़रिए "वोट ध्रुवीकरण" की रणनीति अपना रही है। उनका कहना है कि यह अभियान सिर्फ़ मिठाई बाँटने तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों के मन में धार्मिक और राजनीतिक भावनाएँ भड़काने का प्रयास है।
कांग्रेस ने क्या कहा?
इस बीच, कांग्रेस का कहना है कि भाजपा विकास करने में विफल रही है, इसलिए वह लोगों को भड़काकर वोट बटोरने की कोशिश कर रही है, लेकिन मुंबई की जनता इस बार भाजपा का समर्थन नहीं करेगी।
भाजपा ने क्या स्पष्टीकरण दिया?
दूसरी ओर, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह कोई चुनाव अभियान नहीं है, बल्कि एक "सामाजिक जुड़ाव कार्यक्रम" है जो पार्टी कार्यकर्ता दिवाली और तुलसी विवाह जैसे अवसरों पर सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए आयोजित कर रहे हैं। उनका दावा है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि "एक है तो सुरक्षित है" नारे के ज़रिए भाजपा का लक्ष्य मुंबई के विविधतापूर्ण समाज में एकता का संदेश देना और बहुसंख्यक वोटों को एकजुट करना है। इस अभियान को बीएमसी चुनावों से पहले पार्टी की "ज़मीनी स्तर पर संपर्क रणनीति" के तौर पर देखा जा रहा है।