- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक और संकल्प पूरा किया, नर्मदा नदी में कई मगरमच्छ छोड़े। जानें इसके फ़ायदे।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक और संकल्प पूरा किया, नर्मदा नदी में कई मगरमच्छ छोड़े। जानें इसके फ़ायदे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खंडवा में नर्मदा नदी में कई मगरमच्छ छोड़कर वन्यजीव संरक्षण का अपना संकल्प पूरा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मगरमच्छ माँ नर्मदा के वाहन हैं और उनकी उपस्थिति नदी के पारिस्थितिक संतुलन को मज़बूत करेगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी।

30 अक्टूबर को, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खंडवा ज़िले में जलीय वन्यजीव संरक्षण का एक महत्वपूर्ण संकल्प पूरा किया। उन्होंने नर्मदा नदी में कई मगरमच्छ छोड़े। छोड़ने के दौरान पूजा-अर्चना की गई और इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि मगरमच्छ लोगों के लिए ख़तरा न बनें। नर्मदा नदी का जल मगरमच्छों के जीवन के लिए आदर्श है। इससे उनकी संख्या बढ़ेगी और प्रकृति का संतुलन बना रहेगा। राज्य में मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जलीय जीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

'मगरमच्छ पवित्र नर्मदा नदी के वाहन हैं'
राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ा अभियान चला रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मगरमच्छ पवित्र नर्मदा नदी के वाहक हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नर्मदा नदी में मगरमच्छों को छोड़ने के अपने संकल्प को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा नदी मगरमच्छों के आवास के लिए आदर्श है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार सभी प्रजातियों के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राज्य में वन्यजीवों के साथ-साथ घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे जलीय जीवों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है।

मगरमच्छ नर्मदा नदी को मज़बूत करेंगे।
पिछले साल चंबल नदी में घड़ियाल छोड़े गए थे। अब नर्मदा नदी में मगरमच्छ छोड़कर सरकार वन्यजीव संरक्षण अभियान को और मज़बूत कर रही है। डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मानव और वन्यजीव एक-दूसरे पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, "नर्मदा नदी का वाहक साफ़ पानी में अठखेलियाँ करता नज़र आएगा।" मगरमच्छों को छोड़ते समय, इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि उन्हें ऐसी जगह छोड़ा जाए जहाँ वे लोगों के लिए कोई ख़तरा न बनें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मगरमच्छों की उपस्थिति नर्मदा नदी के लिए शुभ होगी और नदी के जल प्रवाह को सुदृढ़ करेगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल जलीय जीवन का संरक्षण होगा, बल्कि पूरे पर्यावरण को भी लाभ होगा।

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