- हमारी संस्कृति और संस्कार ही हमारी धरोहर: धीरेन्द्र शास्त्री

दिव्य दरवार के दुसरे दिन कथा सुनने पहुंचे 5 लाख से अधिक श्रद्धालु
अशोकनगर। हमारी संस्कृति और संस्कार ही हमारी धरोहर है इसे अपनाना चाहिए बल्कि इससे नाता नहीं तोडना। हम हिन्दूवादी है तो फिर हमें तिलक लगाने में शर्म क्यों आती है तिलक लगाने वाला कभी पथ भ्रष्ट नहीं सकता है। यह बात धीरेन्द्र शास्त्री ने नवीन कृषि मंडी में चल रही संगीतमयी कथा के चौथे दिवस कही। कथा व्यास धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने पथ भ्रष्ट हुये लोगों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सभी लोग अपने घरो के दरवाजों पर भगवान का नाम लिखने के साथ ही तिलक। उन्होंने कहा कि जब लंका में रहकर विभीषण ने अपने घर पर राम नाम लिखना नहीं छोड़ा तो तुमने भारत में रहकर कैसे छोड़ दिया। हमारी संस्कृति और संस्कार ही हमारी धरोहर है। इसे पाश्चत्य सभ्यता की बलि मत चढ़ाओ। उन्होंने कहा कि माथे पर तिलक और घरों पर भगवान का नाम ही सच्चे सनातनी का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। बाल्यकाल में भक्ति करके भगवान को धु्रव और प्रहलाद ने पा लिया। भगवान किसी भी अवस्था में मिल जायेंगे मिलने का भाव होना चाहिए। उन्होंने अजामिल की कथा सुनाई। बच्चों के नाम नारायण राम शंकर सीता सावित्री गीता गंगा रखने की बात कही। स्वीटी जैकी नहीं। नाम ऐसा हो जिसे जानें में लेने से भी पुण्य प्राप्त हो। शीत लहरों के बीच भक्तों का अपार जन समुदाय यहां घंटों बैठा रहा। श्रीमद् भागवत के दौरान उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से ज्ञान गंगा प्रवाह की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भक्ति नौ प्रकार की होती है। सभी को समान समझो छल कपट व्यसनों से बचो। कथा के दौरान आचार्य श्री ने भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। कथा के आरंभ में यजमान अशोक रघुवंशी राज्यमंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव विधायक जजपाल सिंह जज्जी चन्देरी विधायक गोपाल सिंह चौहान ने भागवत भगवान की आरती की। कथा के आरंभ में आचार्य ध्ीरेन्द्र शास्त्री ने जैसे ही भजन प्रस्तुत किये तो मौजूद महिलाएं नृत्य करने लगी। उन्होंने कथा के दौरान लोगों से शाकाहारी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो खुद भूखा रहकर दूसरों का पेट भरे वो मानव होता है। जो दूसरों का मांस खाकर अपना पेट भरते हैं वो मानव हो ही नहीं सकते। पराये धन और स्त्री पर नजर रखने वाले एवं भाई की संपत्ति को हडपने वाले नरक में जाते हैं जो न तो जी पाते है और न ही मर पाते है। कथा के दौरान पंडाल श्रोताओं से खचाखच भरा रहा। आचार्यजी ने एक से बढकर एक भजनों की प्रस्तुति देकर सभी को भावविभोर कर दिया वही बुन्देली भाषा में रोचक प्रसंग सुनाकर सभी को हसी से लोटपोट कर दिया।
ठठरी आगी के सुन लगे ठहाके :
ऐगर कर कैमरा ठठरी आगी के लगे..जैसे शब्दों को सुन ठहाके लगाते लोगों को पंडाल में देखा जा सकता है। आनंदित हो रहे हैं सभी बुंदेली में कथा को सुनकर आचार्य पं धीरेन्द्र शास्त्री ने मानव के कल्याण का मार्ग व्यासपीठ से दिखाया। उन्होंने अपने उपदेशों में व्यसनों का त्याग करने मात-पिता की सेवा करने गुरू का सम्मान करने और संतों का सत्संग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति के भाव अच्छे होते हैं। वह भगवान को सच्चे भाव से भजता है तो उसका भव से बेड़ापार होता है। सुबह से यहां आज चौथे दिन महाराज श्री ने लोगों को उनके स्वस्थ्य होने का आशीर्वाद दिया।
जोखिम में डाली जान वाहनों में लटककर यात्रा
दिव्य दरबार व कथा में शामिल होने के लिए श्रद्धालु अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूके। रविवार को लोडिंग वाहन और ऑटो में श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर लटककर यात्रा करते नजर आए। इससे बागेश्वरधाम प्रमुख ने लोगों को यात्रा के दौरान लापरवाही न बरतने और वाहनों में जान जोखिम में न डालने की अपील की है।

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