- तो....राजे भाजपा-गहलोत कांग्रेस की मजबूरी तो नहीं बन रहे

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में कुछ बड़ा धमाका हेने की पूरी संभावना है जिस प्रकार से राजस्थान की राजनीति के फलक पर भाजपा में राजे और पूनियां के दो अलग अलग रास्ते है ठीक उसी प्रकार कांग्रेस में मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के द्वारा की जा रही एक दूसरे पर कटाक्ष की राजनीति से यह तो तय है कि राजे जहां भाजपा आलाकमान मोदी-शाह से प्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा बताना चाहती है को मनवाने के लिए पिछले साल से ही देवदर्शन यात्रा करके अपने समर्थको की भीड़ जुटाकर आलाकमान को अर्न्तआत्मा में छुपा संदेश दे रही है कि राजस्थान में तो राजे की राजनीति का ही डंका बजेगा फिर चाहे पार्टी आलाकमान उन्हें हासिए पर रखने के लिए कितने जतन क्यों ना कर ले। 
कांग्रेस में भी सचिन पायलट और गहलोत की राजनैतिक अदावत दो साल पुरानी हो गई है दोनो दुग्गजों को जैसे मौका मिलता है एक दूसरे पर कटाक्ष बयानबाजी करने से नहीं चूकते दोनो के कटाक्ष वचनों में मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाएं रखने का राज छुपा रहता है इतना ही नहीं दोनो नेताओं के समर्थको ने भी आपस में गुट की राजनीति करनी शुरू कर दी है। राज्य में नवंबर-दिसंबर में चुनावी जंग का ऐलान जैसे ही चुनाव आयोग करता है ठीक उसी दौरान राज्य की दोनो पार्टियों में कुछ बड़ा धमाका होने वाला है की आहट साफ दिखने लगी है। जयपुर में हुए जाट महाकुंभ में जहां भाजपा की मोदी सरकार में मंत्री, राज्य में जाट भाजपाई विधायक शामिल सबकी एक ही मांग जाट मुख्यमंत्री बनाओ के बीच राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह राजे के समर्थन पत्र के साथ जाट महाकुंभ में पहुंचे....गौर करने की बात यह है कि राजे राजस्थान की पहली बार 8 दिसंबर 2003 में, दूसरी बार 13 दिसंबर 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव जीता था...जातीय समीकरण को देखे तो उन्होने जाटों के सम्मेलन में चुनरी ओढ़ी, राजपूतों से राज घराने का रिश्ता बताया तो गुर्जर समुदाय की समधिन बताकर सत्ता तक पहुंच गई थी। 2023 की राजनीति मोदी शाह के दौर में अलग है इस दौर में राजे से आलाकमान 2018 में हुई चुनावी पराजय के कारण खफा है पर राजे ने फिर वहीं पुराना राजनैतिक दांव जाटों और गुर्जरों में पैठ बनाने के लिए चल दिया है। तीसरा दांव धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर वोटरो की सहानभूति  बटोर रही है इसी तरह के आयोजन में अपने समर्थक विधायक, सांसदो को एक मंच पर बुलाकर आलाकमान को दिखा रही है कि मेरे नाम का राजस्थान में आज भी जादू बरकरार है रही सही कसर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने परदे के पीछे रहकर कर रहे है जैसा राजनैतिक हलको में सुगबुगाहट है कि गहलोत ने होली के नाम विधानसभा की छुट्टी पांच मार्च को इसलिए कर दी कि भाजपा में राजे समर्थक उनको शुभकामनायें देने सालासर धाम पहुंच सके हालाकि प्रदेश भाजपा ने पेपर लीक मामले में एक बड़ा प्रदर्शन किया मगर राजे के समर्थको ने राजे के पास पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी इतना ही नहीं भाजपा के प्रभारी अरूण सिंह भी राजे के आयोजन में पहुंचे इस समूची अनकही जंग में प्रदेश भाजपा में जबरदस्त धड़ेबंदी है से इनकार नहीं किया जा सकता जिसे भाजपा आलाकमान अभी चुपचाप रखने को मजबूर है पर अंदर खाने मोदी शाह ने राजनैतिक शतरंज पर मोहरे फिर बिछा दिए है माना जा रहा है कि अबकी बार गजेन्द्र सिंह नहीं राजसभा सांसद किरोडी लाल मीणा हो सकते है जिस प्रकार उन्होने गहलोत सरकार के पेपर लीक मामले से लेकर अन्य कई मुद्दो पर तल्खी दिखाई है और वीरागंनाओं के मामले पर तो कांग्रेस के सचिन पायलट का साथ मिला है जिस प्रकार वीरागंगनायें पायलट के आवास पर अपना हक मांगने पहुंची उनके द्वारा दिए गए आश्वासन और सांसद किरोडी लाल मीणा के धरने का संदेश साफ है कि मीणा और पायलट का एक ही मंतव्य है गहलोत सरकार पर हमला....पायलट मीणा के तार दिल्ली दरबार तक तो नहीं जुड रहे है राजस्थान में जाति आधारित राजनीति में दखल रखने वाली तीन मार्शल कौम है जिनमें जाट, मीणा, गुर्जर फिलवक्त जाट समुदाय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति से इतर बोल रहा है जिनमें भी जाटो के दिगगज नेताओं में हरीश चौधरी, हेमाराम, दिग्गजों के नाम सामने आ रहे है दूसरी मीणा कौम, जो किरोडी लाल मीणा के 100 प्रतिशत समर्थन में खडी है ठीक इसी तरह गुर्जर समुदाय भी सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान के आश्वासन के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाये जाने से रूष्ट है और वह पूरी तरह सचिन पायलट के पक्ष में खड़ा दिख रहा है फिर भी पायलट ने पिछले दिनों किसान कौम के नाम तीन चार बडे सम्म्मेलन कर कांग्रेस आलाकमान को दिखा दिया कि जनसमर्थन मेरे साथ है जिसे राजनैतिक पंडितो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा राजस्थान में किए गए दौरो से जोड़ा था ऐसे में सांसद किरोडी लाल मीणा, सचिन पायलट, जाट समुदाय एक साथ आते है और जो वर्तमान में राजे और सचिन पायलट की अपने अपने आलाकमान को दिखाई जा रही जनसमर्थन की ताकत से रास्थान की राजनीति का परिदृश्य बदल जायेगा। 

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