मुंबई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई के छात्र दर्शन सोलंकी की पिछले महीने हुई मौत के बाद संस्थान द्वारा गठित जांच समिति ने जाति आधारित भेदभाव से इंकार किया है. साथ ही समिति ने संकेत दिया है कि सोलंकी द्वारा आत्महत्या करने के पीछे की वजह खराब शैक्षणिक प्रदर्शन हो सकता है. मूल रूप से गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले बीटेक (केमिकल) कोर्स के प्रथम वर्ष के छात्र 18 वर्षीय सोलंकी की 12 फरवरी को मुंबई के पवई स्थित आईआईटी परिसर में अपने छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी. उधर सोलंकी के परिवार ने दावा किया था कि अनुसूचित जाति से होने के कारण छात्र को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था. आईआईटी, मुबंई के अधिकारियों ने मौत और घटना से जुड़े आरोपों के संबंध में रसायन विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर नंद किशोर की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था. पिछले महीने पुलिस ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार ने सोलंकी की मौत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. इस घटना के बाद कई शहरों में छात्र समूहों ने शिक्षण संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था.
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