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अंतरिक्ष में नासा भेजेगी सांप और केंचुआ, खोजेगी जीवन
-सुलझाएगी ब्रह्मांड की पहेली
वाशिंगटन । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा सांपों और केचुओं को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रही है। ये सांप और केंचुए खास किस्म के रोबोट्स हैं, जो अंतरिक्ष में जाकर दूसरे ग्रह पर जीवन की उम्मीद को खोजेंगे। नासा के रोबो सांप शनि ग्रह के चंद्रमा एन्सेलेडस पर जीवन की तलाश करेंगे। इन रोबोटिक स्नेक्स को खुद नासा बना रहा है।
वैज्ञानिक हेल्थकेयर, साइंस, फार्मिंग और रिसर्च रेस्क्यू के साथ स्पेस मिशन में काम आने वाले ऐसे रोबोट्स पहले भी बना चुके हैं। वहीं, रोबो केंचुओं को इटैलियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने बनाया है।वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये रोबोट सांप बड़े रोबोट्स के मुकाबले कई काम बहुत आसानी से कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये रोबोट काफी लचीले हैं। ये रोबोट्स सांप की तरह जमीन पर चलता है। साथ ही बिल खोदकर जमीन के अंदर भी चला जाता है। ये रोबोट किसी भी जगह पर शोध व अध्ययन में वैज्ञानिकों की बड़ी मदद कर सकता है।शनि ग्रह के 83 चंद्रमा में एक एन्सेलेडस को 1789 में खोजा गया था। इसी पर जीवन की तलाश करने के लिए नासा की जेट प्रोप्ल्शन लैब में रोबो सांप बनाया जा रहा है।
ये रोबो एन्सेलेडस पर जीवन पनपने के लिए जरूरी तत्वों को खोजेगा। स्पेस मिशन में ये किसी भी ग्रह पर छोड़ने पर आसानी से नमूने जुटा सकते हैं।स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर की रिसर्चर एल्सा का कहना है कि ये अपनी फ्लेक्सिबिलिटी के कारण किसी भी जगह पहुंच सकते हैं। रोबो केंचुए कम से कम जगह में मुड़कर पहुंच जाते हैं। इनमें रीढ़ की हड्डी जैसा कोई स्ट्रक्चर नहीं होता है। इसीलिए ये बहुत काम आने वाले हैं। रोबो केंचुओं में जैल होने से ये आसानी से आगे-पीछे हो सकते हैं।रोबो केंचुओं की लंबाई करीब 10 सेमी होती है। ये केंचुएं सेंसर से ऑपरेट हो सकते हैं। अमेरिका की नोट्रे यूनिवर्सिटी के मुताबिक ये रोबो केंचुए सुरंग खोदने का काम भी कर सकते हैं।
लिहाजा, इनका इस्तेमाल माइनिंग सेक्टर में भी हो सकता है। रोबो केंचुए भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के समय मलबे के ढेर में दबे लोगों को ढूंढने में बड़ी मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि एन्सेलेडस के महासागर और गर्मी के कारण वहां जीवन हो सकता है। नासा के तैयार किए जा रहे स्नेक रोबोट को एक्सोबायोलॉजी एक्सटेंट लाइफ सर्वेयर यानी ईईएलएस नाम दिया गया है। रोबो स्नेक एन्सेलेडस की बर्फीली सतह पर पानी और जीवन पनपने के लिए दूसरे जरूरी तत्वों को खोजने में मदद करेगा। एन्सेलेडस की बर्फीली सतह बहुत ज्यादा चिकनी बताई जा है। इसका तापमान माइनस 300 डिग्री फारेनहाइट से भी ज्यादा रहता है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बर्फीली सतह के नीचे भारी मात्रा में पानी मिल सकता है। अगर 16 फुट लंबा यह सांप जैसा रोबोट सफल होता है, तो इससे अन्य आकाशीय ग्रहों व संरचनाओं के गहन अध्ययन की राह भी खुलेगी।नासा की जेट प्रोप्ल्शन लैब का कहना है कि ईईएलएस सिस्टम असल में एक मोबाइल इंस्ट्रूमेंट प्लेटफॉर्म है। ये आंतरिक इलाकों की संरचनाओं का पता लगाने और जीवन के साक्ष्यों का पता लगाने में मदद करेगा। इसे समुद्र, भूलभुलैया जैसे कठिन वातावरण व तरल पदार्थों के हिसाब से बनाया जा रहा है।
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