उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार, 18 जुलाई को वाराणसी में थे। इस दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने बड़ा बयान दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुहर्रम और सावन का ज़िक्र करते हुए बड़ा बयान दिया है। जौनपुर में मुहर्रम के दौरान ऊँचे ताजिये से हुए हादसे के बाद लोगों के विरोध प्रदर्शन का ज़िक्र करते हुए सीएम ने कहा- मैंने पुलिस से कहा था कि इन्हें लाठियों से मारो और बाहर फेंक दो क्योंकि ये लातों के आदी हैं। ये बातों से नहीं मानेंगे। मुख्यमंत्री शुक्रवार, 18 जुलाई को वाराणसी में थे। उन्होंने कहा कि मुहर्रम के हर जुलूस में दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ होती थी। वहीं दूसरी ओर कांवड़ यात्रा चल रही है, जो एकता का अद्भुत संगम है।
सीएम ने कहा कि सावन का महीना चल रहा है। उससे पहले मुहर्रम था। हमने ताजिये की लंबाई सीमित करने का नियम बनाया था। इससे बिजली और पेड़ों की टहनियों को नुकसान होता था। जौनपुर में एक घटना घटी जहाँ ताजिया इतना ऊँचा उठा दिया गया कि वह हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ गया। 3 लोगों की मौत हो गई, बाद में दंगा हुआ और सड़क जाम कर दी गई। जब पुलिस ने मुझसे पूछा, तो मैंने कहा कि लाठियों से मारो। उन्हें लात-घूंसों की आदत है। वे बातों से नहीं मानेंगे। सोशल मीडिया पर किसी ने इसका विरोध नहीं किया।
वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम ने कहा कि हमारी चुनौती ऐसी है कि कुछ लोग लोगों को समाज की मुख्यधारा से अलग करने का काम करते हैं, उनके कर्म ऐसे हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर जातीय संघर्ष की स्थिति पैदा करते हैं। 2,3 साल पहले भी ऐसी ही घटना हुई थी, एक आगजनी की घटना में एक व्यक्ति भगवा गमछा पहने हुए था, उसके बीच में उसके मुंह से या अल्लाह निकल गया। ऐसे लोगों की पहचान करने की जरूरत है।
कांवड़ियों को आतंकवादी, दंगाई कहा जाता है - सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कांवड़ यात्री श्रद्धा के साथ चलते हैं। वे कंधे पर कांवड़ लेकर, हर-हर बम का नारा लगाते हुए 200, 300, 400 किलोमीटर पैदल चलते हैं, लेकिन उनका मीडिया ट्रायल भी होता है। उन्हें उपद्रवी आतंकवादी तक कहा जाता है, यही वह मानसिकता है जो भारत की विरासत और आस्था को हर तरह से अपमानित करने का काम करती है, ये लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर जातीय संघर्ष फैलाते हैं।
'धरती आबा' भगवान बिरसा मुंडा पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी सनातन धर्म के सामने चुनौती आई है, भारत का आदिवासी समाज उससे लड़ने के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वेदों की ऋचाएँ किसी महल के अंदर नहीं, बल्कि जंगल के सुरम्य वातावरण में लिखी गई थीं। हमारा हर प्राचीन ग्रंथ अरण्यकांड का एक पक्ष भी प्रस्तुत करता है।