रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 2011-12 के आधार वर्ष पर मापी गई भारत की वास्तविक जीडीपी पिछली पाँच तिमाहियों में सबसे तेज़ गति से बढ़ेगी।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, उच्च अमेरिकी टैरिफ और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने अपने नवीनतम पूर्वानुमान में अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 7.2% की दर से बढ़ सकती है।
दूसरी तिमाही में सबसे तेज़ वृद्धि देखी जाएगी
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 2011-12 के आधार वर्ष पर मापी गई भारत की वास्तविक जीडीपी पिछली पाँच तिमाहियों में सबसे तेज़ गति से बढ़ेगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 28 नवंबर को आधिकारिक जीडीपी आंकड़े जारी करेगा।
विकास का मुख्य चालक - निजी उपभोग
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रबंध निदेशक पारस जसराय ने कहा, "निजी उपभोग में वृद्धि जीडीपी वृद्धि का मुख्य चालक है। उच्च और निम्न, दोनों आय वर्गों की वास्तविक आय में सुधार हुआ है, जिससे मांग में वृद्धि हुई है।"
बुनियादी ढाँचा और सेवा क्षेत्रों का योगदान
एजेंसी के अनुसार, बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की मज़बूत स्थिति, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में वृद्धि और सेवा क्षेत्र की मज़बूती ने भी दूसरी तिमाही की वृद्धि को बढ़ावा दिया। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में निजी उपभोग में 8% की वृद्धि का अनुमान है, जबकि पहली तिमाही में यह 7% और पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.4% थी।
एजेंसी का कहना है कि सरकार द्वारा आयकर में की गई कटौती ने उपभोग मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, अगर जीएसटी दरों के युक्तिकरण के कारण खरीदारी के फैसले स्थगित नहीं किए गए होते, तो खपत में और भी ज़्यादा उछाल देखने को मिलता।
निवेश मांग में 7.5% की वृद्धि
बयान के अनुसार, निवेश मांग में भी साल-दर-साल 7.5% की दर से वृद्धि हुई है। सरकार का स्थिर पूंजीगत व्यय इस वृद्धि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।