ग्वालियर। म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड ग्वालियर हमेशा से चर्चा का विषय रहा है, जैसे अधिकारियों-कर्मचारियों पर कभी मनमानी कभी भ्रष्टाचार कभी सरकारी खजाने में लूट जैसे गम्भीर आरोप लगतें रहे हैं लेकिन हाल ही में जो बाकया सामने आ रहा है उसने सबको अचम्भित कर दिया है अर्थात यह घटना ऐसी है जैसे चोर के घर में चोरी हो जाए।एक महाशय सागर से स्थानांतरित होकर मण्डी बोर्ड ग्वालियर में पदस्थ हुए उन्होंने आते ही मण्डी व मण्डी बोर्ड के कर्मचारियों पर अपने रसूख का ऐसा प्रभाव डाला कि सब धीरे-धीरे उनके मोहपाश में बंधते चले गए और आज अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।ठगी का शिकार हुए एक कर्मचारी ने बताया कि महाशय ने बताया कि मेरे मंत्रियों एवं मण्डी बोर्ड भोपाल के अधिकारियों से अच्छे संबंध है व मैं जो चाहता हूं वह काम करा देता हूं और दुश्मनों को निपटा देता हूं, मैं जब चाहूँ किसी भी कर्मचारी को सस्पेंड करा दूँ, स्थानांतरण करा दूँ, वरर्खास्त करा दूं, नौकरी लगवा दूं आदि-आदि, जिससे मैं प्रभावित हो गया व आज लुटा-पिटा बैठा हूँ। जितनी जानकारी बेजोड़ रत्न को प्राप्त हुई उसके अनुसार महाशय ने एक-दो नहीं बल्कि लगभग सभी कर्मचारियों को अपना शिकार बना डाला है। ताज्जुब जो कर्मचारी अपने आप में दिग्गज, होशियार, दूसरों को लूटने वाले थे उन्हें भी नही बख्शा महाशय ने इसे ही कहते है उस्तादी। धरमवीर राणा, चंदेल, विवेक तिवारी,कैलाश, शाहरूख खान, विवेक, बंसल और भी लम्बी फेहरिस्त है लुटने वालों की । महाशय ने किसी से नौकरी लगवाने, किसी का ट्रांसफर करवाने, किसी का अटैचमेंट करवाने, किसी की शिकायत का निपटारा करवाने के नाम से किसी से 7 लाख, 5 लाख, 4 लाख, 1 लाख रूपए ले लिए तो किसी से उधारी के नाम पर १० हजार से दो लाख ले लिए और तो और बाजार से भी ब्याज पर ३० से 35 लाख अपना रसूख दिखाकर उठा लिए जो कि वापस नहीं किए गए। महाशय अभी तक लगभग कर्मचारियों/बाजार से लगभग ६० से ६५ लाख रुपए ले चुके हैं। विगत चार माह से ऐसा एक दिन भी नहीं गुजरा मण्डी बोर्ड ग्वालियर में जब मांगने वाले मण्डी बोर्ड न आए हों वहां अपना लुटेरी रोना न रोया हो और महाशय हमेशाा नदारद रहते हैं मण्डी बोर्ड से। हम तो मर मिटे थे उनकी तिरछी निगाहों पर, हमें क्या पता था सनम टेढ़ा ही देखते हैं शिकार हुए कर्मचारियों से जब बेजोड़ रत्न ने प्रश्न किया कि तुमने इसको पैसे क्यों दे दिए ? के जबाव में कर्मचारियों ने कहा कि वह इतना चालाक है कि हमें पता ही नहीं लगा कि वह सभी को शिकार बना चुका है किसी से उधार लिए, किसी से मजबूरी बतायी, किसी से बीमारी के नाम पर लिए, किसी से शासकीय कार्य करवाने के नाम पर ले लिए, जब पैसा मांगते है तब नेताओं-अधिकारियों से संबंध होने का डर पैदा कर देता है। अब हम सभी करें तो क्या करें? यह भी नहीं समझ पा रहे कि पैसा वापस कैसे मिलेगा जब कि उसने जमीन जायदाद कुछ भी अपने नाम नहीं की हुई है जो नाम है उस पर भी बैंक लोन ले रखा है। खैर मण्डी में कार्यरत तेजतर्रार कर्मचारियों को एक संदेश तो दे ही दिया है कि शेर को सबाशेर मिलता ही है।
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