- जिन मुद्दों पर भाजपा चीखी-चिल्लाई, राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला,आज उन्ही का कर रही समर्थन

अजमेर। झूठ और वादा खिलाफी राजनैतिक दलों का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। इसी हथियार के सहारे चुनावी रण कूदते हैं। राजस्थान इसका सटीक उदाहरण हो सकता है। यहां कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को सत्ता से हटाने के लिए भाजपा ने चीख चीखकर कहा कि अजमेर में सेवन वंडर पार्क के निर्माण में पर्यावरणीय नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। इस मामले में उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजवर्धन सिंह राठौर ने विधानसभा चुनावों के दौरान एक इंटरव्यू में उनका कहा था कि इस पार्क का निर्माण आनासागर झील के गीले क्षेत्र में किया गया है जो पर्यावरणीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। राजस्थान में भाजपा सरकार बनने पर इसकी जांच कराए जाने का भरोसा भी दिलाया था। लेकिन, अब राज्य की भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के इस घोटाले को छिपाने में लगी है। यानि, इसे तोड़ने के लिए दिए गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ेगी। उल्लेखनीय है कि इस इंटरव्यू में राठौर ने बताया था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य सरकार को अजमेर के ग्रीन बेल्ट पार्क और खुले स्थानों में किए गए निर्माण को हटाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आनासागर के वेटलैंड में बने इस सेवन वंडर को भी हटाने के आदेश पारित किए जा चुके हैं। यह सभी निर्माण कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किए गए थे। इसके अलावा, भाजपा ने कोटा रिवर फ्रंट को भी चुनावी मुद्दा बनाया था। जिसमें पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया गया था। उस समय भी तत्कालीन भाजपा नेता प्रहलाद गुंजल ने इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच कराए जाने का वादा किया था। लेकिन, भाजपा सरकार सत्ता आने के लगभग 6 महीने बाद भी इन मुद्दों पर चुप्पी साधकर बैठी है। जबकि आरोप लगाने वाले नेता प्रहलाद गुंजल अब कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया और एनजीटी के आदेशों को लागू करने एवं इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराए जाने के वादे भी किए थे। लेकिन, अब सत्ता में आने के बाद भाजपा और उसके नेताओं का रुख बदलता नजर आ रहा है। स्मरण रहे कि 11 अगस्त 2023 को एनजीटी द्वारा पार्कों और खुले स्थानों में निर्माण हटाने के आदेश को कांग्रेस शासनकाल में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल अपील दायर कर चुनौती दी थी। वहीं अब भाजपा सरकार ने 15 अप्रैल 2024 को एक अतिरिक्त हलफनामा पेश करके कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में इस सिविल अपील का समर्थन करेंगे।

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