- अधिकांश किसानों ने बाजार बेच दिया गेहूं - अब 50 प्रतिशत चमक विहीन गेहूं लेने का आदेश जारी

भोपाल । शासन की समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर इस बार किसानों का मोह भंग नजर होता दिख रहा है। इसके चलते गत माह 22 मार्च से शुरू हुई खरीदी के बाद भी प्रदेश गेहूं की खरीदी में पिछड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि बीते रबी सीजन के दौरान बार-बार मौसम में खराबी और बेमौसम बारिश से गेहूं फसल को नुकसानी हुई थी। इससे गेहूं के दाने पतले व चमक विहीन होकर क्वालिटी कमजोर पड़ी है, जो समर्थन मूल्य के एफएक्यू मापदंड के विपरीत भी रहे है। वहीं मुख्य रूप से शासन की खरीदी का रेट के मुकाबले बाजार का भाव अधिक होने से किसानों ने गेंहू कटाई के साथ ही खेतों से ही खुले बाजार सीधे उपज बेच दी। वहीं चार दिन पूर्व मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड से आदेश निकला है, जिसमें कमजोर क्वालिटी गेहूं के मापदंड में राहत प्रदान की गई है। इसमें मुख्य रूप से चमक विहीन गेहूं में 50 प्रतिशत छूट प्रदान की गई है। हालांकि किसानों की माने तो यह आदेश करीब एक माह पूर्व निकलता तो किसान शासन के समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में रुचि लेता। वर्तमान में प्रदेश में अधिकांश किसानों ने खेतों से गेहूं कटाई कर खुले बाजार में गेहूं बेच दिया। खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के अफसरों की लेटलतीफी उन किसानों पर भारी पड़ गई है, जिनके गेहूं का दाना सिकुड़ गया था या टूटा था। तीन हफ्ते पहले विभाग ने केंद्र सरकार से बेमौसम बारिश की कारण जिन किसानों के गेहूं की चमक फीकी हुई थी, उसे समर्थन मूल्य पर खरीदने की अनुमति मांगी थी लेकिन अफसर सिकुड़े व टूटे गेहूं को खरीदने की अनुमति मांगना ही भूल गए। इस वजह से प्रदेश के हजारों किसानों ने अपना सिकुड़ा व टूटा हुआ गेहूं मजबूरी में बाजार में कम दाम पर बेच दिया। अगर उस वक्त अफसर ऐसे गेहूं खरीदने की अनुमति भी मांग लेते तो किसानों को भी 2400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा मिल जाता। हालांकि 8 अप्रैल को केंद्र ने 30 प्रतिशत तक चमकविहीन गेहूं की खरीदी की अनुमति दे दी लेकिन शर्त रखी कि भंडारण के दौरान गेहूं के स्टॉक की गुणवत्ता में किसी भी तरह की गिरावट आई तो पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। जब अफसरों को इंदौर, शाजापुर, देवास व सिवनी के कलेक्टरों ने चेताया कि बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से गेहूं ज्यादा दागी हो गया है। टूटा व सिकुड़ा गेहूं खरीदी केंद्रों पर आने की वजह से एफसीआई उसे रिजेक्ट कर रही है। तब ताबड़तोड़ खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग ने फिर से केंद्र सरकार को पत्र लिखकर टूटे व सिकुड़े गेहूं को खरीदने की अनुमति मांगी और मांग की कि ऐसे गेहूं को खरीदने के लिए निर्धारित छूट 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत की जाए। वहीं 30 प्रतिशत चमकविहीन गेहूं की खरीदी की छूट 50 प्रतिशत तक की जाए। विभाग की मांग पर केंद्र के खाद्य व उपभोक्ता विभाग ने 23 अप्रैल को अनुमति जारी कर दी। साथ में कहा कि समर्थन मूल्य पर जितना गेहूं खरीदा जा रहा है, उसका क्षतिग्रस्त प्रतिशत 6 से ज्यादा नहीं हो। ऐसे में अब अफसर भी सकते में है कि अब जब दूसरे किसान टूटे व सिकुड़े गेहूं को बेचने आएंगे तो पहले जो किसान अपना गेहूं बाजार में कम दाम पर बेच चुके हैं उनका क्या होगा? लोकसभा चुनाव की वजह से मुद्दा और गर्मा सकता है।केंद्र ने पहली बार इतनी बड़ी छूट दी है खाद्य विभाग के अफसरों के अनुसार गेहूं खरीदी के दरमियान बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि हो गई। कलेक्टरों ने बताया था कि खरीदी केंद्रों पर चमकविहीन गेहूं आने से एफसीआई रिजेक्ट कर रहा है। तब हमने केंद्र सरकार से ऐसे चमकविहीन गेहूं खरीदी करने की छूट मांगी थी। केंद्र ने प्रदेश सरकार को बगैर मूल्य कटौती के 30त्न चमकविहीन गेहूं खरीदी की अनुमति दे दी। एक हफ्ते बाद फिर कलेक्टरों ने रिपोर्ट भेजी कि टूटा व सिकुड़ा गेहूं भी आ रहा है। तब विभाग ने भारत सरकार से 50 प्रतिशत चमकविहीन, टूटा व सिकुड़ा गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदने की छूट मांगी। दूसरी बार भी केंद्र ने प्रदेश की मांग मान ली। पहली बार केंद्र ने इतनी बड़ी छूट दी है। अब समर्थन मूल्य पर खरीदी की तारीख 20 मई तक बढ़ाने जा रही है। प्र

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