- अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का नंबर

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दो चरणों के मतदान होने के साथ ही यह तो सभी जान ही चुके हैं कि केंद्र में सत्तारुढ़ भाजपा अबकी बार 400 पार वाले नारे को अमली जामा पहनाने के लिए साम, दाम, दंड-भेद की नीति अपनाए हुए है। विपक्ष इसे लेकर लगातार आबाज बुलंद कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उनकी आवाज कहीं सुनी भी जा रही है। दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक फर्जी वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को दिल्ली तलब किया है। खास बात यह है कि पुलिस ने उनसे पर्सलन मोबाइल फोन और सारी डिजिटल डिवाइस के साथ 1 मई को हाजिर होने का हुक्म सुना दिया है। अमित शाह का फर्जी वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस ने सैकड़ों लोगों को इस तरह के नोटिस जारी किए हैं, उनमें ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेडी सहित सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं। इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस की एक टीम हैदराबाद में मौजूद बताई गई है। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि अभी और भी लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे, जिसमें कांग्रेस के और कुछ नेता समेत अन्य खास लोग भी शामिल हो सकते हैं। मतलब साफ है कि इस चुनावी बेला में भाजपा को एक ऐसा मामला हाथ लग गया है, जिसके दम पर वह कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं व दमदार जमीनी कार्यकर्ताओं को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। पुलिस की इस कार्रवाई पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसके पहले सैकड़ों फर्जी और एडिट वीडियो कांग्रेस नेताओं तथा गांधी परिवार के खिलाफ बनाए गए हैं। जिस तरह से दिल्ली पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा रही है, उसका जवाब अब कांग्रेस और विपक्षी दलों की सरकारों द्वारा भी दिया जाएगा। जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं। उन राज्यों में भी अब इसी तरह से भाजपा नेताओं के खिलाफ और भाजपा की आईटी सेल के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाएंगे। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का जवाब अब विपक्षी दलों की ओर से अन्य राज्यों से मिलना तय माना जा रहा है। भारतीय राजनीति जिस ओर जा रही है, उसके बाद अब यह कहा जा सकता है, कि पुलिस और अदालतों के द्वारा राजनीतिक लड़ाई लड़ने की जो नई प्रक्रिया शुरू हुई है यदि यह इसी तरह से चलती रही, तो सभी राजनीतिक दलों के नेता, पुलिस थानों और अदालतों के चक्कर काटते नजर आएंगे। जिसकी जहां पर सरकार है, वह इसी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कानूनों का बेजा इस्तेमाल करने से बाज नहीं आएगी। यदि इसी तरह से चलता रहा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई गैर भाजपा शासित राज्यों द्वारा की जा सकती है। याद करें जब आलू से सोना बनाने का जो फर्जी वीडियो वायरल हुआ था। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी चुनावी सभा में उसी एडिट वीडियो का उल्लेख करते हुए कई सभाओं में भाषण दिए, और राहुल गांधी का माखोल उड़ाया था। दिल्ली पुलिस ने जिस तरह की धाराओं में यह मामला दर्ज किया है। यही मामला अन्य राज्यों में भी भाजपा नेताओं के खिलाफ उन्ही धाराओं में दर्ज होना तय माना जा रहा है। राजनीति की लड़ाई अब मतदाताओं और सड़कों से निकलकर पुलिस और न्यायालयों के इर्द-गिर्द लड़ी जा रही है। इसके क्या परिणाम होंगे, यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा। जिस तरह से राजनीति में कानून का मनमाना इस्तेमाल करके पुलिस और न्यायालय के माध्यम से राजनीतिक लड़ाई लड़ी जा रही है। यह भारतीय राजनीति का एक नया स्वरूप है और इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे, जो लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं कहे जा सकते हैं।

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