2024 के लोकसभा चुनाव में जनता चुनाव लड़ती हुई दिख रही है। सत्ता पक्ष ने विपक्ष को पूरी तरह से पंगु करके रख दिया है।ना तो उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा है, नाही चुनाव आयोग उन्हें चुनाव लड़ने दे रहा है। आदर्श आचार संहिता सत्ता पक्ष के लिए लागू नहीं है, वह केवल विपक्ष के लिए है। ऐसी स्थिति में मतदाताओं का मौन ही लोकसभा का चुनाव लड़ता हुआ दिख रहा है। 542 लोकसभा सीटों में इस बार प्रचार के पोस्टर, बैनर और होर्डिंग देखने को नहीं मिल रहे हैं। जब बड़े-बड़े भाजपा नेताओं की रैलियां होती हैं। वहां पर जरूर भाजपा का प्रचार देखने को मिलता है। लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे होने जा रहे हैं। मतदाताओं में कोई उत्साह नहीं है। विपक्षी दलों के पास आर्थिक संकट है। वह पैसा खर्च नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा ने भी अपना खर्च घटा दिया है। क्योंकि मुकाबले में कोई नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट के कारण मतदाता अपनी लड़ाई खुद लड़ता हुआ दिख रहा है। जिसके कारण इस बार के चुनाव परिणाम सभी को आश्चर्यचकित करेंगे। चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष। भाजपा ही भाजपा को चुनाव हरा रही? भारतीय जनता पार्टी को क्या भाजपा के कार्यकर्ता ही चुनाव हरा रहे हैं। तीन चरणों के मतदान में यही स्थिति देखने को मिल रही है। भाजपा संगठन और उसके कार्यकर्ता बुरी तरह से नाराज हैं। वह घर बैठकर इस बार तमाशा देख रहे हैं। वह खुद भी वोट डालने के लिए नहीं निकल रहे हैं। नाही वह वोट डलवाने का कोई प्रयास कर रहे हैं। जिसके कारण भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा कार्यकर्ताओं के कारण हो रहा है।सत्ता के लिए जिस तरह से अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा में प्रवेश दिया गया है। उससे भाजपा नेता और कार्यकर्ता बुरी तरीके से नाराज हैं। भाजपा इस बार प्रबंधन के जरिए चुनाव जीतना चाहती थी। संगठन और कार्यकर्ताओं को अनदेखा किया गया। यह नाराजी इस लोकसभा चुनाव में देखने को मिल रही है। भाजपा का कार्यकर्ता स्वयं कहने लगा है, भाजपा को भाजपा के कार्यकर्ता ही हरा रहे हैं। सत्ता को भी पता लग जाए कि प्रबंधन के जरिए चुनाव नहीं जीते जाते हैं। संगठन ही चुनाव जिताता है। पहली बार इतना घबराए हुए दिख रहे हैं मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार इतना घबराए हुए दिख रहे हैं।पिछले 10 वर्षों में उन्होंने कभी भी अडानी और अंबानी का नाम नहीं लिया। इस बार चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के ऊपर अडानी और अंबानी से सौदा करने का आरोप लगा दिया। कांग्रेस ने कितने बोरे काले धन के रूप में अडानी अंबानी से लिए हैं। क्या सौदा हुआ है, जिसके कारण शहजादे ने अंबानी और अडानी को गाली देना बंद कर दिया है। इस बयान के बाद हर कोई कह रहा है। भारतीय जनता पार्टी बुरी तरीके से चुनाव हार रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ भी बोल रहे हैं। जिस अडानी का नाम मोदी ने कभी संसद में भी नहीं लिया। अडानी का नाम लेने पर राहुल गांधी की संसद से सदस्यता समाप्त हो गई। उसी को आधार बनाकर कांग्रेस को घेरने का प्रयास प्रधानमंत्री मोदी ने किया। यह घबराहट का ही नतीजा है। इस बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को इस चुनाव में नुकसान होता हुआ, स्पष्ट रूप से दिख रहा है। भाजपा के नहले पर केजरीवाल का दहला भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से विपक्ष के राजनीतिक दलों में सेंध लगाती है। विपक्ष में फूट डालकर राजनीतिक फायदा उठाती है। जेल से छूटने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वही रास्ता अख्तियार किया है। उन्होंने भाजपा से पूछा है,उनका अगला प्रधानमंत्री कौन है। 75 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी सेवानिवृत्ति होंगे। वह अपनी विरासत अमित शाह को सौंपेंगे? मोदी की गारंटी कौन पूरा करेगा। भाजपा बताए अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। इसी तरह से उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी निशाने पर लिया है। जिस तरह से भाजपा अपने विपक्षी दलों को घेरती है।उनमें फूट डालने का प्रयास करती है। वैसा ही केजरीवाल ने भाजपा को घेरने का प्रयास किया है। अब भाजपा को जवाब देना पड़ रहा है।गृहमंत्री अमित शाह ने बोल दिया है, कि 75 साल की उम्र सीमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगी।2029 का कार्यकाल मोदी पूरा करेंगे।आगे भी वही प्रधानमंत्री बने रहेंगे। संविधान में प्रधानमंत्री पद के लिए उम्र की सीमा की कोई व्यवस्था नहीं है।जेल में रहते हुए कोई मुख्यमंत्री सरकार नहीं चला सकता है। ऐसी कोई व्यवस्था संविधान में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के जरिए उन्होंने भाजपा की दूसरी पीढ़ी को यह बता दिया है कि भाजपा में उनके लिए कोई स्थान नहीं है। नहले पर दहला मारना केजरीवाल ने जेल में सीख लिया है। यही कहा जा सकता है। एस जे/ईएमएस/13 मई2024