- सेबी का गठन 1988 में हुआ था, आज शेयर बाजार में इसका योगदान 5 ट्रिलियन डॉलर है

सेबी का गठन 1988 में हुआ था, आज शेयर बाजार में इसका योगदान 5 ट्रिलियन डॉलर है

अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के बीच संबंध होने का दावा किया है। हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने इन आरोपों से इनकार किया है। लेकिन विपक्ष सेबी चीफ और केंद्र सरकार पर हमला बोल रहा है।

अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के बीच संबंध होने का दावा किया है। हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने इन आरोपों से इनकार किया है। लेकिन विपक्ष सेबी चीफ और केंद्र सरकार पर हमला बोल रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सेबी क्या है और यह कैसे काम करती है। सेबी चीफ की क्या भूमिकाएं होती हैं।

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सेबी बाजार की 'निगरानी' करता है

आपको बता दें कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत की प्रमुख नियामक संस्था है, जो भारतीय शेयर बाजार और अन्य प्रतिभूति बाजारों की निगरानी और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। सेबी का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, प्रतिभूतियों में व्यापार की पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करना है। सेबी का गठन भारत सरकार ने 12 अप्रैल 1988 को किया था। लेकिन, इसे कानूनी अधिकार और स्वायत्तता 30 जनवरी 1992 को मिली। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में हैं।

सेबी के चेयरमैन की नियुक्ति भारत सरकार करती है। चेयरमैन सेबी का सबसे बड़ा अधिकारी होता है जो बोर्ड के सभी कार्यों और नीतियों के लिए जिम्मेदार होता है। सेबी चीफ के अलावा बोर्ड में 3 से 5 पूर्णकालिक सदस्य होते हैं। इनके पास वित्तीय बाजारों के नियमन समेत कई जिम्मेदारियां होती हैं। इसके अलावा सेबी में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक से नामित दो सदस्य भी होते हैं।

जानिए क्या है सेबी का काम

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय शेयर बाजार ने इतिहास रच दिया। पहली बार बाजार 5 ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ। तब उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्द ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा टॉप मार्केट बन जाएगा। सेबी का काम निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। सेबी के पास नियम बनाने का अधिकार है। पूंजी बाजार में कारोबार से जुड़ी हेराफेरी और धोखाधड़ी को रोकने के लिए भी यह जिम्मेदार है। इसे उन्हें लागू करने और अन्य विवादों को निपटाने का अधिकार है। सेबी का काम म्यूचुअल फंड सिक्योरिटीज को रजिस्टर करना और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना है। नई कंपनियों की लिस्टिंग में भी सेबी अहम भूमिका निभाता है।

हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाए?

शनिवार को हिंडनबर्ग द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। इसमें दंपति का कुल निवेश 10 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना अडानी समूह के एक निदेशक ने इंडिया इंफोलाइन के जरिए की थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर है।

दंपति ने आरोपों से किया इनकार

बुच दंपति ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। बुच दंपत्ति ने बताया कि उन्होंने 2015 में 360 वन एसेट एंड वेल्थ मैनेजमेंट (पूर्व में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट) द्वारा प्रबंधित आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था। यह निवेश उनकी ओर से माधबी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था, जब दोनों सिंगापुर में निजी नागरिक के रूप में रहते थे। बयान के अनुसार, इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा स्कूल और आईआईटी दिल्ली से धवल के बचपन के दोस्त हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी के रूप में कई दशकों तक उनका मजबूत निवेश करियर रहा है।

'हमारी जिंदगी एक खुली किताब है'

आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार सुबह जारी बयान में कहा कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारी जिंदगी और वित्त एक खुली किताब की तरह है। हमें जो भी खुलासे करने थे, वे पिछले कई सालों से सेबी को दिए जा चुके हैं।

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