- चुनाव से पहले पूरे करने होंगे अधूरे काम, पार्षद ठेकेदारों को मना रहे

चुनाव से पहले पूरे करने होंगे अधूरे काम, पार्षद ठेकेदारों को मना रहे

वार्डों में सीसी रोड, नाली निर्माण, उद्यान, सौंदर्यीकरण और मरम्मत के कार्य होने हैं। इनमें से अधिकांश कार्यों के टेंडर जारी हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी ठेकेदारों ने काम शुरू नहीं किया है।

आगामी महीनों में नगर निगम चुनाव होने हैं। उससे पहले फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे पार्षदों ने वार्डों के अधूरे कामों को पूरा कराना शुरू कर दिया है। पार्षद निगम अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, साथ ही ठेकेदारों को मनाने में जुटे हैं, ताकि वे समय रहते शहरवासियों से किए वादे पूरे कर सकें।

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वार्डों में सीसी रोड, नाली निर्माण, उद्यान निर्माण, सौंदर्यीकरण और मरम्मत के काम लंबित हैं। इनमें से अधिकांश कामों के टेंडर हो चुके हैं, लेकिन ठेकेदारों ने काम शुरू नहीं किया है। शहर में सड़क डामरीकरण के लिए दस करोड़ रुपए भी स्वीकृत हो चुके हैं।

इसके लिए टेंडर भी हो चुका है। आपको बता दें कि वार्डों के विकास कार्यों के लिए पार्षदों को हर साल मिलने वाली राशि अभी तक नहीं मिल पाई है। इस वजह से भी पार्षद अपने वार्डों में काम नहीं करवा पा रहे हैं।

 कुछ काम ऐसे भी लंबित हैं, जो फंड आने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे कामों को पूरा करवाने के लिए पार्षद ठेकेदारों को मनाने में जुटे हैं, ताकि चुनाव से पहले वार्डों के अधूरे काम पूरे हो सकें।

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नोटिस का भी असर नहीं

ठेकेदारों को अधूरे और शुरू नहीं हुए कामों को जल्द शुरू करने और पूरा करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। लेकिन, ठेकेदारों पर नोटिस का कोई असर नहीं हुआ है। शायद यही वजह है कि नोटिस के बाद भी ठेकेदारों ने काम शुरू नहीं किया है।

शहर में 150 से ज्यादा काम हैं। टेंडर होने के बाद भी करीब 25 काम शुरू नहीं हो पाए हैं। ऐसे सभी कामों को समय सीमा में पूरा करवाने के लिए निगम कमिश्नर अतुल विश्वकर्मा ने पिछले दिनों अधिकारियों की बैठक ली थी। इसमें ठेकेदारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए थे। अधिकारियों ने नोटिस भी जारी कर दिए हैं।

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टेंडर से खेलने का प्रयास

इस बीच शहर में विकास कार्यों के लिए स्वीकृत 10 करोड़ रुपये के कार्यों के लिए जारी टेंडर से खेलने का प्रयास किया जा रहा है। दो दिन पहले सर्किट हाउस में भाजपा के एक नेता ने ठेकेदारों के साथ गुप्त बैठक कर टेंडर को न सिर्फ निरस्त करने बल्कि उसे अपने मन मुताबिक ठेकेदारों में बांटने की रणनीति बनाई।

बाद में निगम अधिकारियों पर ऐसा करने का दबाव भी बनाया गया। अब इस मामले को संगठन के साथ ही शासन स्तर पर ले जाने की तैयारी की जा रही है। ताकि चुनाव से पहले विकास कार्यों में बाधा न आए।

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वहीं अगर निकाय चुनाव से पहले अधूरे काम पूरे नहीं हुए तो पार्षदों के लिए ये अधूरे काम सिरदर्द बन सकते हैं। इसी वजह से पार्षद अपने वार्ड के अधूरे कामों को पूरा करवाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पार्षदों के सामने चुनाव से पहले काम पूरे करवाने की चुनौती भी है, जिसके चलते पार्षद अधिकारियों पर काम शुरू करवाने का दबाव बना रहे हैं और ठेकेदारों को भी मना रहे हैं।

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