- उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण विधायक बिना वजह परेशान नहीं हैं; ये आंकड़े आपको भी हैरान कर देंगे!

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण विधायक बिना वजह परेशान नहीं हैं; ये आंकड़े आपको भी हैरान कर देंगे!

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण विधायकों की बैठक को भारतीय जनता पार्टी (BJP) हल्के में नहीं ले सकती। इसे पार्टी के अंदर जाति संतुलन को लेकर बढ़ रही नाराज़गी के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में ठाकुर विधायकों की पिछली बैठक के बाद, हाल ही में हुई ब्राह्मण विधायकों की बैठक के बाद, जाति समीकरणों को लेकर राजनीतिक माहौल और भी अस्थिर हो गया है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे ठाकुर बनाम ब्राह्मण राजनीतिक संघर्ष के तौर पर देख रहे हैं, जो सरकार और पार्टी संगठन दोनों में अपनी-अपनी जातियों के लिए ज़्यादा प्रतिनिधित्व और प्रभाव हासिल करने की रणनीतियों से जुड़ा है।

ब्राह्मण विधायकों की बैठक BJP के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। सूत्रों के अनुसार, बैठक में पार्टी के भीतर ब्राह्मण समुदाय की भूमिका, प्रतिनिधित्व और शक्ति पर चर्चा हुई। इससे इस धारणा को बल मिलता है कि पार्टी के भीतर उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है, जिससे उनमें असुरक्षा और असंतोष बढ़ रहा है।

ब्राह्मण विधायकों की बैठक के बाद बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
उत्तर प्रदेश में, ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय ऐतिहासिक रूप से BJP के मुख्य वोट बैंक रहे हैं। बैठक में पार्टी के भीतर ब्राह्मणों की आवाज़ कमज़ोर होने पर चर्चा हुई। यह मुद्दा बिना किसी कारण के नहीं उठा है। योगी सरकार पर कई मौकों पर ब्राह्मणों की उपेक्षा करने के आरोप लगे हैं। समाजवादी पार्टी को भी समय-समय पर इस आग को हवा देते हुए देखा गया है, जो सरकार पर मुख्यमंत्री की जाति (ठाकुर) के लोगों को बचाने और उनका पक्ष लेने का आरोप लगा रही है।

यूपी की राजनीति में ब्राह्मण बनाम ठाकुर प्रतिनिधित्व
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी लगभग 10-11 प्रतिशत है, जबकि ठाकुरों की आबादी लगभग 6-7 प्रतिशत है। यूपी विधानसभा में BJP के कुल 258 विधायक हैं। इनमें से 42 ब्राह्मण, 45 ठाकुर, 84 OBC, 59 अनुसूचित जाति, 0 मुस्लिम और 28 अन्य उच्च जातियों के हैं, जिनमें वैश्य, कायस्थ, पंजाबी और खत्री शामिल हैं।

विधान परिषद में, BJP के कुल 79 MLC हैं, जिनमें 14 ब्राह्मण, 23 ठाकुर, 26 OBC, 2 अनुसूचित जाति, 2 मुस्लिम और 12 अन्य उच्च जातियों के हैं। इन आंकड़ों को देखें तो जातिगत आबादी के मामले में ब्राह्मणों की संख्या ठाकुरों से ज़्यादा है, लेकिन विधानसभा और विधान परिषद में उनका प्रतिनिधित्व राजपूतों की तुलना में कम है। विधानसभा में बीजेपी के 42 ब्राह्मण विधायक और 45 ठाकुर विधायक हैं, जबकि विधान परिषद में इनकी संख्या क्रमशः 14 और 23 है। जब इस साल मॉनसून सत्र के दौरान ठाकुर विधायकों ने बैठक की थी, तो इसे मुख्यमंत्री के प्रति एकजुटता दिखाने के तौर पर देखा गया था। हालांकि, इस बार ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर पार्टी नेतृत्व ने नाराज़गी जताई है।

इन सभी बातों को देखते हुए, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीजेपी के अंदर जाति संतुलन को लेकर असंतोष पनप रहा है। पार्टी को अब अपने दो सबसे बड़े कोर वोट बैंक के बीच संतुलन बनाना होगा, नहीं तो उसे आने वाले चुनावों में इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।

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