- जीवन का सबसे बड़ा सुख शात्री  मन की शांति से ही मिलता है


-- सबलगढ़ में श्री राम मंदिर सबलगढ़ से कलश शोभा यात्रा निकालीगई जिसमें कथा वाचक 


सबलगढ़ । शहर सबलगढ़ में श्री राम मंदिर सबलगढ़ से कलश शोभा यात्रा निकालीगई जिसमें कथा वाचक भागवत प्रवक्ता परम श्रद्धेय पंडित श्री राधा रमण जी शात्री वृंदावन श्री धाम सबलगढ़ वाले घोड़े पर सवार थे सबसे आगे बैंड बाजों की धुन के साथ मुख्य मार्ग होते हुए परीक्षतके निज निवास पर पहुंची श्रीमद् भागवत के परीक्षत स्वर्गीय श्रीमती रामादेवी कमल किशोर सक्सेना निवासी चंबल कॉलोनी पंजाबी बाग सबलगढ़ द्वारा संगीतमयी श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम 8 जनवरी सोमवार से कथा स्थल निज निवास चंबल कॉलोनी सबलगढ़ पर कथा का प्रारंभ किया गया है कथा वाचक श्री राधा रमण शात्री जी ने श्रद्धालुओं को प्रथम दिन गणेश पूजन कलश यात्रा एवं श्रीमद् भागवत महात्मयविस्तार से बताया दूसरे दिन 9 जनवरी मंगलवार को सुखदेव परीक्षित मिलन करदम जी विवाह 12 अवतार एवं कपिल अवतार का वर्णन श्रद्धालुओं को मयश्लोक सहित सुनाया अगले दिन बुधवार को ध़ुव चरित्र एवं नरसिंह अवतार की कथा भक्तों को श्रवण कराई सभी श्रद्धालुओं से कथा वाचक शात्री जी ने कहा कि आप सभी भक्तजन श्रद्धालु दोपहर 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक कथा 

 

का समय है आप सभी भक्तजन समय पर पधार कर कथा का श्रवण करें उन्होंने भक्तों से कहा कि मनकी शांति से ही मिलता है जीवन का सबसे बड़ा सुख अगर मन में शांति का वास नहीं है तो आप कितने भी धनवान बन जाएं लेकिन आपके मन को शांति और सुख नहीं मिलेगा यह बात चंबल कॉलोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा  मैं पंडित श्री राधा रमण जी शात्री ने कहा भागवत कथा सुनने का पुण्य हर किसी को नहीं मिलता है इसका लाभ उसी को मिलता है जो भाग्यशाली है कथा के प्रसंग में बताया कि भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो जैसी करनी करेगा वह वैसा ही फल पाएगा लेकिन कुछ लोग अपनी करनी को भगवान पर छोड़ देते हैं ताकि उनके जीवन में नया उजाला आए संत सत्संगों के माध्यम से ही समय-समय पर इस समाज को सत्य का मार्ग दिखाते हैं

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उन्होंने कहा कि कलयुग में सत्संग के द्वारा आसानी से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है प्राणी को परमात्मा से सच्चा प्रेम और गुरु कृपा का आधार एवं सत्संग प्रिय होता है तो कथापूर्णतहसमझ आती है अन्यथा भागवत कथा के प्रति बुद्धि में भ़म दोष उत्पन्न होता है उन्होंने कहाकि परमात्मा के चित्रों में वुद्धि विपरीत कार्य करके कथा वभागवत चरित्रोके प्रति कृतज्ञ करती है कथा में शात्री जी ने गुरु का महत्व बताया और कहा कि प्रत्येक मनुष्य के लिए गुरु का बहुत महत्व हैजीवन को शुरू करने के लिए गुरु की अति आवश्यकता है ।  

 

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