- ग्वालियर अंचल के किसान न करें धान की खेती -कृषि विभाग के साथ प्रशासन ने जारी की अपील

पानी की कमी है, किसान न लगाएं धान की फसल भोपाल । मध्य प्रदेश के ग्वालियर और उसके आसपास के कुछ जिलों में किसान गर्मी के मौसम में धान की फसल लगाने के लिए तैयार है, लेकिन पानी की बढ़ती खपत और गिरते भूजल स्तर को लेकर कृषि विभाग के साथ प्रशासन ने एक अपील जारी की है। अपील के जरिए कहा गया है कि किसान पानी की कमी को देखते हुए धान की फसल न लगाएं। किसान मूंग और तिली की बोवनी करें। कृषि विभाग ने यह भी बताया है कि एक हजार हेक्टेयर में धान के लिए 02 अरब 50 करोड़ लीटर पानी लगता है। यह पानी एक दिन में 83 करोड़ लोगों की प्यास बुझा सकता है। ग्वालियर अंचल में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे इलाके हैं, जहां गर्मी के मौसम में ही धान की बोवनी शुरू हो जाती है। ग्वालियर जिले में ही करीब दस हजार हेक्टेयर भूमि पर किसान धान की फसल की बोवनी गर्मी में करते हैं। इस दौरान पानी की आपूर्ति के लिए किसान खेत के ट्यूबवेल का उपयोग करते हैं। जिसके चलते तेजी से भू जलस्तर में गिरावट होती है।भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा बीते कई सालों से चले आ रहे इस क्रम के चलते अंचल का भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। ऐसे में भविष्य के जल संकट से बचने के लिए कृषि विभाग और प्रशासन ने उन किसानों के लिए अपील जारी की है जो गर्मी के मौसम में धान की बोवनी करते हैं। धान को सर्वाधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि किसान अपील पर अमल करते हैं तो एक दिन में 83 करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले पानी की बचत की जा सकेगी। कृषि विभाग ने किसानों को सुझाव भी दिए हैं। विभाग का किसानों से कहना है कि गर्मी के मौसम में किसान उन फसलों की खेत में पैदावार करें, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़े और जल की आवश्यकता कम पड़े। ऐसे में किसान सन, ढेंचा, मूंग और तिली की बोवनी करें क्योंकि इन फसलों में कम पानी लगता है।

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