- सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग मामलों में की गई कार्रवाई पर राज्यों से 6 हफ्ते में जवाब मांगा, कहा

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। दरअसल, कोर्ट के पूछने पर याचिकाकर्ता ने बताया था कि याचिका में उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सिलेक्टिव मत बनिए, क्योंकि यह मामला सभी राज्यों से जुड़ा है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कई राज्यों से मॉब लिंचिंग मामलों में उनकी कार्रवाई पर 6 हफ्ते में जवाब भी मांगा है। अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों के बाद होगी। मॉब लिंचिंग को लेकर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ की हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता जताई गई थी। साथ ही मॉब लिंचिंग में जान गंवाने वाले पीडि़तों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी। वकील निजाम पाशा ने कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान पाशा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी, लेकिन पीडि़तों के खिलाफ गोहत्या की एफआईआर दर्ज की गई थी। अगर राज्य सरकार मॉब लिंचिंग की घटना से ऐसे ही इनकार करती रही, तो 2018के तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन कैसे होगा। पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को भीड़ खासकर गौरक्षकों द्वारा हत्या की घटनाओं की जांच करने के लिए कई निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने आदेश में राज्य सरकार को पीडि़तों को 1 महीने के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

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