देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अपने अनुभव साझा किए। राकेश शर्मा ने कहा कि जब मैं अंतरिक्ष से लौट रहा था तो मुझे लगा था कि मैं वापस नहीं आ पाऊंगा। लेकिन धरती पर वापस लौटना सबसे रोमांचकारी अनुभव था। आपको बता दें कि शर्मा ने 1984 में बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी।
नई दिल्ली। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने सोमवार को अपने अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि सोयूज अंतरिक्ष यान से धरती पर लौटना उनकी अंतरिक्ष यात्रा का सबसे रोमांचकारी अनुभव था। एक पल के लिए उन्हें लगा कि वह सुरक्षित वापस नहीं लौट पाएंगे।
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राकेश शर्मा ने 'ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद' और संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'युवा सभा 2047: भारत के भविष्य को आकार देना' कार्यक्रम में एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में अपने अनुभव साझा किए। पिक्सल स्पेस के सह-संस्थापक और सीईओ अवैस अहमद के साथ बातचीत में शर्मा ने कहा कि वह अपनी अंतरिक्ष यात्रा के प्रक्षेपण को लेकर चिंतित नहीं थे, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित था।
धरती पर वापसी की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए शर्मा ने कहा, धरती पर लौटना ज्यादा रोमांचक था, क्योंकि मुझे लगा था कि मैं सफल नहीं हो पाऊंगा। राकेश शर्मा को जनवरी 1982 में सोवियत इंटरकॉसमॉस मिशन के लिए चुना गया था। उन्होंने 3 अप्रैल, 1984 को बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरी थी।
शर्मा ने अंतरिक्ष में सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए और 11 अप्रैल को धरती पर वापस लौटे। गौरतलब है कि भारत इस साल के अंत में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी अंतरिक्ष कंपनी 'एक्सिओम' के साथ संयुक्त मिशन के तहत अपने अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है।
वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन-4 के लिए ह्यूस्टन में प्रशिक्षण ले रहे हैं। भारत ने अगले साल अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजने के लिए गगनयान मिशन की भी घोषणा की है।