मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र में बीजेपी सरकार के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के फैसले पर राजनीति गरमा गई। विपक्ष के नेता उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा परिसर में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
आज (17 दिसंबर) मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र में राजनीतिक तूफ़ान देखने को मिला। कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी सरकार के 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना' (मनरेगा) का नाम बदलने के फैसले के खिलाफ विधानसभा परिसर में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विपक्ष के नेता उमang सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
विरोध प्रदर्शन के दौरान मीडिया से बात करते हुए, विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार जनता के सामने असली मुद्दों - जैसे बेरोज़गारी, कमरतोड़ महंगाई, किसानों की दुर्दशा और मज़दूरों की समस्याओं - से ध्यान भटकाने के लिए "नाम बदलने की राजनीति" कर रही है।
'क्या बीजेपी बापू से डरती है?'
विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने कहा, "मनरेगा सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं है; यह ग्रामीण गरीबों के लिए सम्मान और जीवन की गारंटी है। इसके साथ गांधीजी का नाम जुड़ा होना सामाजिक न्याय का प्रतीक है, जिसे सरकार मिटाना चाहती है।" विरोध प्रदर्शन के दौरान, उमंग सिंघार ने बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि बीजेपी को महात्मा गांधी के नाम से इतनी नफ़रत क्यों है। उन्होंने पूछा कि क्या बीजेपी बापू के आदर्शों से डरती है या बस उनका सम्मान नहीं करती।
संवैधानिक मूल्यों का अपमान
उमंग सिंघार ने कहा कि गांधीजी का नाम हटाना उनके सिद्धांतों और संविधान के मूल्यों पर सीधा हमला है। कांग्रेस पार्टी गांधीजी की विचारधारा और उनके नाम से जुड़े प्रतीकों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी।
विशेष सत्र में हंगामे की संभावना
विधानसभा परिसर में यह विरोध प्रदर्शन साफ तौर पर दिखाता है कि विपक्ष इस मुद्दे को सदन के अंदर भी प्रमुखता से उठाएगा। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार जनता के कल्याण पर ध्यान देने के बजाय प्रतीकों को बदलने में अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रही है।