- पानी पीने जाते हैं पसीने में नहाकर आते हैं वापस दिल्ली के आश्रय गृह का हाल

पानी पीने जाते हैं पसीने में नहाकर आते हैं वापस दिल्ली के आश्रय गृह का हाल

नई दिल्ली । राजधानी के अलग-अलग इलाकों के फ्लाईओवर के नीचे, फुटपाथ पर रहने वाले बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए हर वर्ष आश्रय गृह काफी मददगार साबित होते हैं। बेसहारा लोगों को इस भीषण गर्मी व लू से बचाने के लिए आश्रय गृह ही एकमात्र सहारा है, लेकिन हीट वेव से बचाने के लिए यह आश्रय गृह न तो तैयार हैं और न ही लोगों को राहत देने के लिए यहां कोई सुविधाएं हैं। किसी आश्रय गृह में पीने का पानी नहीं है तो किसी में नहाने की सुविधा नहीं है। किसी में कूलर नहीं है तो किसी में कूलर खराब पड़े हैं।पानी पीने के लिए भी लोगों को 500 मीटर दूर जाना पड़ता है। जब तक वह वहां जाते हैं, पसीने में भीग जाते हैं। हालत ऐसी हो गई है कि लोग आश्रय गृह में रुकने की बजाय आसमान से बरसती आग के बीच में मेट्रो के पिलरों के नीचे, मेट्रो स्टेशन के नीचे मिल रही थोड़ी बहुत छांव में रह रहे हैं। हालत ऐसी है कि जब वह पानी पीकर वापस लौटते हैं तो सारे कपड़े भीग चुके होते हैं और दोबारा प्यास लग जाती है।आश्रय गृह में रहने वाले लोग पानी के लिए कई बार शिकायत कर चके हैं,

लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।आश्रय गृह में रहने वाले नन्दू का कहना है कि पानी की किल्लत के कारण उन्हें काफी दिक्कत हो रही है। यहां दो कूलर हैं, दोनों के दोनों खराब पड़े हैं। दिनभर पसीने से बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग नहाते हैं और बावजूद इसके कूलर ठीक नहीं करवाया जा रहा है। आश्रय गृह में रहने वाली रतनी देवी ने बताया कि उन्हें मिलने वाले खाने की गुणवत्ता भी काफी खराब है। सब्जी में कभी नमक तेज होता है तो कभी मिर्च। रोटी भी कच्ची आती है। शिकायत के बावजूद भी सुधार नहीं हो रहा है। शास्त्री पार्क में बने आश्रय गृह में ठंडे पानी की बात तो दूर पीने योग्य पानी की भी उचित व पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यहां पर दस बेड हैं। लोगों के आधार कार्ड लेकर उन्हें रहने की व्यवस्था मिल पाती है। भूपसिंह ने बताया कि गर्मी की वजह से बुरा हाल हो रखा है। दो कूलर हैं वो भी खराब पड़े हैं। वाटर कूलर खराब है। पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। नहाने-धोने के लिए भी सार्वजनिक शौचालयों में जाना पड़ रहा है। लेखराज ने बताया कि तपिश की वजह से टी-शर्ट और शर्ट उतारकर सोना पड़ता है। वहीं इहबास के पास बने रैन बसेरे में रहने वाले लोग वहां की सुविधा से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि समय से पानी की टैंकर आता है और भोजन भी मिलता है। शकरपुर स्कूल ब्लाक के पास बने आश्रय गृह में भी सामान्य पानी आता है। ठंडा करने के लिए वे लोग बर्फ खरीद लेते हैं।

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