- Bhopal News: रावत की सदस्यता खत्म करने की याचिका खारिज

Bhopal News: रावत की सदस्यता खत्म करने की याचिका खारिज

विधानसभा अध्यक्ष ने औचित्यहीन बताया, बीना विधायक का फैसला पेंडिंग

Bhopal News: कांग्रेस विधायक के रूप में मंत्री पद की शपथ लेने वाले रामनिवास रावत की विधानसभा सदस्यता खत्म किए जाने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने खारिज कर दी है। विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने याचिका लगने के बाद उसके निराकरण की परीक्षण अवधि के दौरान रावत की ओर से खुद ही विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र देने के आधार पर खारिज कर दी है। उधर बीना विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता खत्म करने के मामले में अभी विधानसभा अध्यक्ष का फैसला आना बाकी है।

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिए गए फैसले में कहा गया है कि उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष विधानसभा की ओर से मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियम 1986 के अंतर्गत कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के विरुद्ध याचिका लगाई गई थी। इसमें रावत को अयोग्य घोषित करने की बात थी। नेता प्रतिपक्ष सिंघार की याचिका के प्रकरण में परीक्षण के बाद 18 जुलाई को पाया गया कि रामनिवास रावत विजय पुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे लेकिन विचाराधीन याचिका पर फैसला होने के पहले ही उनके द्वारा विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया जा चुका है

और 8 जुलाई को इस्तीफा स्वीकार भी हो चुका है जिसके बाद वे अब विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और इसकी सूचना गजट नोटिफिकेशन में भी आ चुकी है। इसलिए याचिका के निराकरण का औचित्य खत्म हो गया है और प्रकरण को समाप्त कर विधानसभा अध्यक्ष तोमर द्वारा याचिका को खारिज कर दिया गया है। विधानसभा सचिवालय ने इस याचिका को खारिज करने का भी नोटिफिकेशन कर दिया है।

बीना विधायक के मामले में फैसला पेंडिंग

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू रहने के दौरान बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने भी चुनावी सभा के दौरान बीजेपी ज्वाइन की है। कांग्रेस विधायक सप्रे ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और अन्य कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन करने वाले विधायकों रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे को पद के अयोग्य घोषित कर विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष लगाई थी। रावत के मामले में तो विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला दे दिया है लेकिन बीना विधायक सप्रे के मामले में फैसला आना बाकी है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधायक चुने जाने के बाद दूसरी पार्टी ज्वाइन करने वाले विधायक के विरुद्ध याचिका लगाने पर विधानसभा अध्यक्ष को तीन माह के भीतर फैसला करना है।

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