भोपाल। पिछले दिनों हुई बिन मौसम बारिश ओर ओलावृष्टि से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है। किसानों को गेहूं के बाद अब प्याज भी रुला रहा है। बारिश से खेतों में ही प्याज सडऩे लगा था, जिसे किसानों ने निकाला। अब जब उसे मंडी में बेचने के लिए ले जा रहे हैं तो किसानों को एक रूपए किलो भी भाव नहीं मिल रहा है। जिसके चलते किराया भाड़ा भी नहीं मिल रहा है। रोजाना मंडियों में खराब प्याज की एक से दो गाड़ी फेकी जा रही है। बिगड़े मौसम की वजह से प्याज की गुणवत्ता खराब हुई है, इसलिए भी दाम कम मिल रहा है।
व्यापारियों का कहना है कि प्याज बेचने आने वाले कुछ किसानों को मंडी में अपनी जेब से भी पैसे लगाने पड़ रहे हैं। डिमांड और सप्लाई में बहुत गैप है। डिमांड से बहुत ज्यादा प्याज मार्केट में आ रहा है। यहां से असम, यूपी, बांग्लादेश और श्रीलंका में प्याज ज्यादा एक्सपोर्ट होता था, श्रीलंका में क्राइसिस है इसलिए वहां सप्लाई बंद है। बांग्लादेश में भी डिमांड कम है। वहां पर एक्सपोर्ट हो रहा है लेकिन बहुत कम, क्योंकि बांग्लादेश में भारी इंपोर्ट ड्यूटी लगी हुई है।
खेतों में सड़ गई फसल संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, शैलेंद्र पटेल, लाखन सिंह डाबी ने बताया कि जिन किसानों ने प्याज की बोवनी की थी, उनकी फसल खेतों में ही सड़ गई है। पहले अतिवृष्टि से गेहूं का भाव नहीं मिला था और अब प्याज कम भाव में बिक रहा है। पानी लगने से प्याज संग्रहण लायक भी नहीं बचा है। व्यापारी नारायण गर्ग का कहना है कि मार्च, अप्रेल और मई माह में जब खेतों में से प्याज निकली है तब बारिश हुई, जिससे क्वालिटी खराब हो गई। यहां से असम, गुहावटी, यूपी, बांग्लादेश व श्रीलंका तक प्याज का निर्यात होता है, लेकिन एक से दो दिनों तक प्याज भरी होने से वहां से शिकायते आ रही है, जिससे व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है।
मुआवजा की उठी मांग बेमौसम बारिश से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने गत दिनों मध्य प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह तत्काल फसलों का सर्वे कराकर किसानों को आरबीसी 6 /4 के तहत मुआवजे का वितरण करे। सरकार ने अभी तक इन किसानों को कोई राहत नहीं दी है।
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