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मक्का की पांच, उड़द की पांच, अरहर की तीन और कुटकी की चार किस्में करेंगी किसानों को मालामाल
90 से 100 दिन में पकने वाली फसलें खरीफ के सीजन में धान के बराबर दे सकती हैं पैदावार - कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर हैं मोटे अनाज की खेती
भोपाल । मप्र के कम पानी वाले क्षेत्र में मक्का जेएम 215 किस्म सहित पांच किस्में एक हेक्टेयर में 65 क्विंटल तक पैदावार दे सकती हैं। इसके अलावा उड़द की इंदिरा 1 किस्म 72 दिन में पकने के साथ ही 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार दे सकती है।इसी तरह अरहर और विशुद्ध भारतीय प्राकृतिक चावल कुटकी की फसल भी अच्छा खासा फायदा देने वाली साबित हो सकती है। मोटे अनाज और दलहन की ये किस्में जिले के आवदा, पहेला, कराहल सहित 50 से अधिक गांवों की कम सिंचित कृषि भूमि में बोवनी करके किसानों को फायदा देने की प्लानिंग की गई है। एक हजार एमएम से कम बारिश और धान के लिए पर्याप्त पानी न होने की वजह से किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस सीजन में 2800 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर नई किस्मों को बोने का लक्ष्य रखा गया है।
दरअसल, खरीफ सीजन में परंपरागत धान, सोयाबीन जैसी फसलों के साथ-साथ मोटा अनाज और दालों के उत्पादन को बढ़ावा देेने के लिए कृषि विभाग ने प्लानिंग तैयार की है। इस प्लानिंग के अंतर्गत ज्वार, मक्का, मूंगफली, अरहर और उड़द की पैदवार के साथ ही कोंदों और कुटकी जैसे मोटे अनाज की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना है। इसके साथ ही कम पानी वाली फसलों का चयन इसलिए भी किया जा रहा है कि असिंचित और कम सिंचित भूमि पर विपरीत मौसम में भी अच्छी पैदावार हो सके।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खरीफ में किसान धान की ओर आकर्षित होता है, जबकि अगर मक्का, उड़द, मूंग, अरहर, तिली जैसी अपेक्षाकृत कम समय में पकने वाली फसलों की ओर ध्यान दे तो लागत के हिसाब से अच्छा फायदा मिल सकता है। धान की लागत से एक चौथाई में ही इन फसलों को उत्पादित किया जा सकता है। खाद आदि की मात्रा भी कम लगती है और बाजार में दाम भी बेहतर हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि श्योपुर के ड्राय एरिया में दलहनी और कुटकी जैसी फसल कम लागत में ज्यादा उत्पादन देे सकती हैं। हम किसानों को लगातार इसी का प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वे किस्मों को जानें और पैदावार का महत्व समझें। ये किस्में जो देंगीं फायदा
मक्का -जेएम-215 किस्म 85 से 90 दिन में 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -जेएम 218 किस्म 82 से 85 दिन में 65 से 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -पीजेएचएम 1 किस्म 90 से 98 दिन में 65 से 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -जेएम 1014 किस्म 90 से 93 दिन में, 60 से 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -पीजेएचएम 2 किस्म 95 से 98 दिन में 68 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। उड़द
-इंदिरा 1 किस्म 70 से 72 दिन में 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -आईपीयू 243 किस्म 70 से 72 दिन में 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -आईपीयू 13-01 किस्म 70 से 72 दिन में 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -टीजेयू 339 किस्म 65 से 70 दिन में 15 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -टीजेयू 130 किस्म 62 से 65 दिन में 15 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। अरहर
-राजेश्वरी किस्म 180 से 185 दिन में 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -बीपीएन 711 किस्म 165 से 170 दिन में 22 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -पूसा अरहर 16 किस्म 120 से 125 दिन में 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। कुटकी
-जेके 8 किस्म 75 से 80 दिन में 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -जेके 36 किस्म 75 दिन में 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -जेके 4 किस्म 70 दिन में 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी। -जेके 95 किस्म 114 से 116 दिन में 17 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी।
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