- छेडखानी के आरोप में तात्कालीन ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सोलंकी हुए बेदाग कोर्ट से

छेडखानी के आरोप में तात्कालीन ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सोलंकी हुए बेदाग कोर्ट से

डबरा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। कहते है कि सत्य उजागर होता है और सत्यता को आंच नहीं आती है सत्य जब भी सत्य बोलता है तो किसी भी व्यक्ति पर आरोप-प्रत्यारोप लागू नहीं होते है। बात हम किसी ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी की नहीं कर रहे है बात हम एक अधिकारी की कर रहे है जिस पर आरोप था कि ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी के पद पर रहते हुए एक अधिकारी ने महिला चिकित्सक के साथ दुव्र्यवहार किया, उसके साथ छेडखानी की और उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जो नियमों के विपरीत था। सिविल अस्पताल के तात्कालीन बीएमओ सुरेन्द्र सिंह सोलंकी पर सिविल अस्पताल के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी मेमूना खान द्वारा छेडखानी का आरोप लगाया गया था जो आरोप मान. न्यायालय द्वारा निराधार किए गए और निराधार आरोपों से ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी स्वतंत्र हुए लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि तात्कालीन गायनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट मेमूना खान द्वारा ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी पर जो छेडखानी के आरोप लगाए है वो किन परिस्थितियों में लगाए है, जबकि उनके पास किसी प्रकार के ऐसे कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सुरेन्द्र सिंह सोलंकी ने उनके साथ कोई गलत हरकत की है। 
दरअसल, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सुरेन्द्र सिंह सोलंकी पर तात्काली गायनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट के द्वारा आरोप लगाया गया था कि ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी द्वारा मेमूना खान के साथ छेडखानी की वारदात को अंजाम दिया है, मामला न्यायालय में पहुंचा, न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत हुए और उनके साक्ष्यों के आधार पर तात्कालीन ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी को बरी कर दिया। यह अपने आप में एक बडा मामला है, लेकिन सबसे खास बात ये है कि जिस पुलिस अधिकारी ने तात्कालीन ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया है, ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही क्यों न होना चाहिए....? जिसने बगैर जांच किए एक सीनियर ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ पंजीबद्ध कर लिया। मामला छोटा नहीं है, मामला बडा है बशर्तें कोई समझने वाला नहीं है, इस मामले की तथ्यात्मक जांच होना चाहिए कि आरोपी जो भी हो उसे सजा मिलना चाहिए। मामला एक महिला चिकित्सा अधिकारी के पक्ष का नहीं और न ही सीनियर ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी का, एक-एक मामले की जांच होना चाहिए। इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल को जांच करना चाहिए कि वास्तविकता की हकीकत क्या है....?
पुलिस की कार्यवाही पर उठ चुके है सवाल.......
सिविल सर्जन मेमूना खान के द्वारा की गई शिकायत पर ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सुरेन्द्र सिंह सोलंकी के खिलाफ किए गए अपराध पर सिटी पुलिस ने क्या कार्यवाही की...? यह भविष्य के गर्त में है, लेकिन वास्तविकता ये है कि सिटी पुलिस ने कार्यवाही में किसी प्रकार की गहराई से जांच नहीं की, जिसके परिणाम है कि आज मामला ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ जा रहा है अगर जांच अधिकारी पूरे मामले की जांच ईमानदारी से करता तो एक बात समझ से परे थी कि इस मामले में वहीं होना था जिसका इंतजार आम जनता कर रही है लेकिन वास्तविकता कोसों दूर है। 

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag