- जमीन को लेकर फिर आमने-सामने आएं बमोरी क्षेत्र के दर्जनों गांव कलेक्टोरेट पहुंचकर दी दो टूक चेतावनी, समाधान नहीं हुआ तो सामने आएंगी हिंसक प्रतिक्रिया

जमीन को लेकर फिर आमने-सामने आएं बमोरी क्षेत्र के दर्जनों गांव कलेक्टोरेट पहुंचकर दी दो टूक चेतावनी, समाधान नहीं हुआ तो सामने आएंगी हिंसक प्रतिक्रिया

गुना । इसे चुनावों के पूर्व सुनियोजित जातीय संघर्ष का षडयंत्र कहे या राजस्व और वन अमले की अनदेखी कि बमोरी विधानसभा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव जमीन को लेकर एक बार फिर आमने-सामने हैं। ग्रामीण अब खुलेआम खूनी संघर्ष की चेतावनी दे रहे हैं। लेकिन प्रशासन है कि उसकी कान में जूं तक नहीं रेंग रही। दरअसल मामला बमोरी एवं फतेहगढ़ दो थानांतर्गत बसे भील, भिलाला और सहरिया आदिवासी बाहुल्य गांवों का है। इन गांवों के रहवासी अब जमीन को लेकर एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं। मंगलवार को ग्राम बोमला सहित अन्य गांवों के सैकड़ों ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचे। 

यहां उन्होंने जिला प्रशासन केा आवेदन देकर आसपास के गांव के लोगों द्वारा जबरन उनके गांव के लोगों की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश की शिकायत की। दोनों थाना क्षेत्र के लगभग एक दर्जन भील और भिलाला बाहुल्य गांवों के लोग आमने-सामने हैं। इस बारे में भील बाहुल्य बोमला के ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम सिंगपुरा, मढ़ीखेड़ा, कर्मावीर, डिंगडौली सहित अन्य गांवों के ग्रामीण जबरन उनके गांव में घुसपैठ कर रहे हैं। उनके द्वारा बड़े पैमाने पर हमारे गांव के लोगों की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। 
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लगभग ढाई-तीन सौ लोगों की भीड़ आएं दिन हमारे गांव के लोगों के साथ मारपीट कर खेतों में बोई गई फसल को नष्ट कर देती है। हमारे गांव के लोगों की तीन 300-400 बीघा जमीन पर इन गांवों के लोग जबरन कब्जा कर रहे हैं। जब ग्रामीण इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाते हैं तो यह लोग रास्ता रोक लेते हैं। जबकि इस जमीन पर उनके पास 1972 से पट्टा है। जिसके कागजात भी उनके पास है। जनसुनवाई में पहुंचे ग्रामीणों ने उनके गांव की जमीन नाप कर अतिक्रमणकारियों को खदेडऩे की मांग की है। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि उनकी एक सूत्रीय मांग को प्रशासन नहीं सुनता है तो ग्रामीण हिंसक प्रतिक्रिया देंगे।

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