- संसद सत्र बुलाने से पहले राजनैतिक दलों से सलाह-मशवर करने का कोई नियम नहीं : प्रह्लाद जोशी

संसद सत्र बुलाने से पहले राजनैतिक दलों से सलाह-मशवर करने का कोई नियम नहीं :  प्रह्लाद जोशी

सोनिया गांधी के पत्र के जबाव में सरकार ने कहा 
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पर निशाना साधकर कहा कि रमेश ने संसद सत्र से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे है। संसदीय कार्य मंत्री ने रमेश के बयान का जवाब देकर कहा कि संसद और इसकी प्रक्रियाओं को बदनाम करने वाली गलत सूचना के प्रसार को रोकना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस नेता रमेश ने आरोप लगाया था कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह कहकर गुमराह किया है कि केंद्र ने संसद का विशेष सत्र बुलाने में विभिन्न नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। रमेश ने कहा कि अतीत में कई मौकों पर सरकारों ने विशेष सत्र बुलाने से पहले उसके एजेंडे के बारे में जानकारी दी थी। इस संदर्भ में उन्होंने कई मिसालें भी दीं।
sonia gandhi: Parliament Special Session: Parties never consulted in  advance, says Minister Pralhad Joshi on Sonia Gandhi's letter - The  Economic Times

केंद्रीय मंत्री जोशी ने कांग्रेस नेता रमेश के दावे को झूठ करार देकर कहा कि जीएसटी लागू करने के लिए 30 जून, 2017 को संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ ऐतिहासिक समारोह संसद सत्र था। उन्होंने पर पोस्ट किया, ‘‘यह बिल्कुल सच नहीं है! यह संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत सत्र नहीं था। जोशी ने कहा, ‘‘अब, आइए एक और गलतबयानी पर नजर डालते हैं। कांग्रेस नेता रमेश ने संविधान की 70वीं वर्षगांठ के लिए 26 नवंबर, 2019 को सेंट्रल हॉल में एक विशेष बैठक का उल्लेख किया था। लेकिन, फिर, यह संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत संसदीय सत्र नहीं था। उन्होंने कहा कि आगामी सत्र संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत संसद का सत्र है और एजेंडा स्थापित संसदीय परंपराओं के अनुसार साझा किया जाएगा।
Pralhad Joshi responds to Sonia Gandhi's letter on agenda for upcoming Parliament  Session
संविधान का अनुच्छेद 85 सत्र से संबंधित है और इसके अनुसार, संसद के सदनों को प्रत्येक वर्ष में कम से कम दो बार बैठक के लिए बुलाया जाएगा और एक सत्र में उसकी अंतिम बैठक और अगले सत्र में उसकी पहली बैठक के बीच छह महीने का अंतर नहीं होगा। राष्ट्रपति समय-समय पर सदनों या किसी भी सदन को उस समय और स्थान पर बैठक के लिए बुलाएंगे जिन्हें वह उचित समझें। जोशी ने कहा कि विशेष अवसरों पर सत्र के आयोजन और औपचारिक संसदीय सत्रों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को बनाए रखने में सटीक जानकारी मायने रखती है।
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उन्होंने कहा, ‘‘जयराम रमेश के हालिया बयान काफी भ्रामक हैं। वह संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि संसद सत्र बुलाना लोकतंत्र में सबसे बड़ा वरदान है। हालांकि, विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि अवरोध पैदा करने वाले विरोधियों की एक लॉबी है जो इसका विरोध करती है। उन्होंने रमेश से कहा कि वे सटीक जानकारी पर ध्यान केंद्रित करें और भ्रामक बयानों को संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ पर हावी न होने दें। जोशी ने आपातकाल का उल्लेख किया और कहा कि यह कांग्रेस सरकार थी जो संसदीय लोकतंत्र विकृत करने के लिए जानी जाती थी। उन्होंने रमेश से कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों ने आपातकाल लागू होते देखा है और कैसे 1975 में उनकी पार्टी की सरकार ने इस देश के लोगों और संस्थानों के अधिकारों पर अंकुश लगाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करते हुए 90 से अधिक बार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों को बर्खास्त किया।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे जवाबी पत्र में जोशी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर तक संसद का सत्र बुलाने में प्रासंगिक नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। जोशी ने कहा कि संसद का सत्र बुलाने से पहले राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा करने की कोई परंपरा नहीं है। 

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