- 3 साल से जेल में उमर खालिद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक नहीं मिली राहत

3 साल से जेल में उमर खालिद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक नहीं मिली राहत

नई दिल्ली । उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में तीन साल पहले दिल्ली पुलिस ने सिंतबर 2020 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से वह जेल की सलाखों के पीछे हैं। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वह जमानत की फरियाद लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिली है। उमर खालिद पर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत केस दर्ज है। उन पर किया गया केस उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित है,



 जो 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बीच हुआ था। इन विरोध प्रदर्शन के कारण 2020 की शुरुआत में दिल्ली में हिंसा हुई थी। इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। पिछले तीन सालों में इस मामले में कई गिरफ्ताारियां हुई हैं और आरोपपत्र भी दायर किए गए हैं। उमर खालिद पर कई भड़काऊ भाषण देने और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान लोगों को सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए भड़काने का आरोप लगा है। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को बदनाम करने और अल्पसंख्यकों को लेकर गलत प्रचार करने के इरादा से ऐसा किया था। उसके बाद उन्हें दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट किया था। गिरफ्तारी के बाद से वह लगातार अपनी जमानत की फरियाद कर रहे हैं। 
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हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि उमर खालिद के खिलाफ दिल्ली पुलिस के आरोपों के खिलाफ उपलब्ध सबूतों पर गौर करने को तैयार हो गई है। इससे उमर खालिद को थोड़ी आस बनी है और शीर्ष अदालत ने चार सप्ताह का समय दिया है। बता दें कि इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 24 मार्च, 2022 खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके खिलाफ ही खालिद ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की थी और जमानत की फरियाद लगाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट के पहले काकड़डूमा जिला अदालत ने भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिला अदालत के फैसले के खिलाफ उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर और सिद्धार्थ मृदुल ने खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि दिल्ली भर में विभिन्न स्थानों पर चक्का-जाम और विरोध प्रदर्शन पूर्व नियोजित साजिश प्रतीत होती है। उन्होंने दंगा भड़काने की साजिश को भी अपने फैसले में जिक्र किया था।

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