नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि जातीय जनगणना जरूरी है, क्योंकि इससे नया अध्याय शुरू होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जाति-धर्म के लिए नहीं,बल्कि गरीबों के लिए काम कर रही है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में जाति आधारित गणना और राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना एवं मिजोरम के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी रणनीति और कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
सांसद राहुल गांधी ने कहा कि बैठक में जातीय जनगणना पर भी चर्चा हुई, जिसका सभी ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी अपने राज्यों में जातीय जनगणना को अमलीजामा पहनाएंगे। कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों ने फैसला लिया गया है कि वे हिमचाल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में जातिगत जनगणना कराएंगे। इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसकी कॉपी आपको जल्दी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी ने यह फैसला लिया है। इंडिया गठबंधन की अधिकतर पार्टियों ने भी जातिगत जनगणना पर सहमति जाहिर की है। कुछ पार्टियों को दिक्कत हो सकती है लेकिन ठीक है। हम फासीवादी पार्टी नहीं है। लेकिन गठबंधन की अधिकतर पार्टियों ने जातिगत जनगणना पर सहमत है। राहुल ने कहा कि यह धर्म या जाति के बारे में नहीं है। यह गरीब तबके के बारे में है। यह जातिगत जनगणना गरीब लोगों के लिए है। फिलहाल एक अडानी का भारत और दूसरा गरीबों का भारत। हमें इस नए एक्सरे की जरूरत है।
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राहुल गांधी ने कहा कि 2014 और 2015 में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना कराई थी। तक हमारी सरकार का कार्यकाल समाप्त हुआ, 2018 में गठबंधन सरकार आ गई। हमने समिति के चेयरमैन से इन आंकड़ों को जारी करने को कहा। हमारे चार मुख्यमंत्रियों में से तीन ओबीसी समुदाय से थे, जबकि बीजेपी के 10 मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ एक मुख्यमंत्री ओबीसी है। जब मैंने ओबीसी प्रतिनिधित्व में असमानता का मुद्दा उठाया, प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा। प्रधानमंत्री ओबीसी के लिए काम नहीं करते हैं। उनका काम ओबीसी वर्ग को भ्रमित करना है।