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उल्फा के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया अंतिम चरण में : असम डीजीपी
गुवाहाटी।असम के पुलिस महानिदेशक जी पी सिंह ने शुक्रवार को कहा है कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा ) के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। जी पी सिंह ने कहा, इससे पहले, उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने शांति समझौते के उस मसौदे पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी जो केंद्र सरकार ने उन्हें वार्ता शुरू करने के लिए दिया था। उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के महासचिव अनूप चेतिया ने कहा कि उनकी लड़ाई असम को अवैध घुसपैठियों से बचाने और राज्य में स्वदेशी आबादी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए है ।
उन्होंने कहा कि उनकी कुछ प्रमुख मांगों को पूरा किए बिना शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना संभव नहीं है। अनूप चेतिया ने कहा, लगातार हो रही अवैध घुसपैठ के कारण असम में मूल आबादी अल्पसंख्यक होती जा रही है। हमने अनुरोध किया है कि शांति समझौते के तहत असम के कुल 126 विधानसभा क्षेत्रों में से 102 को स्वदेशी लोगों के लिए अलग रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पहले केंद्र सरकार के समक्ष 12 मांगें पेश की थी,
जिसमें एनआरसी को अपडेट करना, स्वदेशी समूहों के लिए भूमि अधिकार, छह स्वदेशी जनजातियों के लिए एसटी का दर्जा, असम बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना और स्वदेशी लोगों के लिए 88 प्रतिशत सीट कोटा शामिल है। सीट आरक्षण उन मांगों में से एक है जिसे अभी तक केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी है, हालांकि, अधिकांश मांगों को केंद्र ने स्वीकार कर लिया है।चेतिया ने कहा, हमें लगता है कि सरकार हमारी बाकी मांगों पर विचार करेगी क्योंकि वे अनुचित नहीं हैं। परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा-आई के नाम से जाना जाने वाला दूसरा गुट बातचीत के लिए सतह पर नहीं आया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बरुआ से हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है।
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