- तवांग में सैनिकों के साथ दशहरा मनाया और शस्त्र पूजा की
नई दिल्ली । रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 24 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश में अग्रिम चौकियों का दौरा कर वहां सशस्त्र बलों की परिचालन संबंधी तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों से बातचीत की और उनके साथ दशहरा मनाया। रक्षामंत्री ने कठिन परिस्थितियों में सीमाओं पर तैनात रहने वाले, लेकिन देश और उसकी जनता की सदैव सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले सैनिकों की अडिग भावना, अटूट प्रतिबद्धता और अद्वितीय साहस के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि समूचे देश को सशस्त्र बलों पर गर्व है और वह उनके साथ खड़ा है।
राजनाथ सिंह ने तवांग में सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने अपने संबोधन में सशस्त्र बलों के वीर जवानों की धार्मिकता और धर्म को विजयादशमी के त्योहार के लोकाचार का सजीव प्रमाण बताया।
रक्षामंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों की वीरता और प्रतिबद्धता जैसे कारणों की बदौलत ही आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद बढ़ा है और अब वह सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार हो चुका है। उन्होंने मोंटोन स्मारक (पेरुगिया प्रांत) का दौरा किया, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध में मोंटोन को मुक्त कराने के लिए इतालवी अभियान में लड़ने वाले नाइक यशवंत घाडगे और अन्य भारतीय सैनिकों के योगदान के सम्मान में बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उस स्मारक पर केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि इतालवी लोग भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सैनिकों की बहादुरी का वैश्विक स्तर पर सम्मान है।
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राजनाथ सिंह ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से सरकार द्वारा देश की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी प्रगति हुई है। पहले हम अपनी सेना को उन्नत बनाने के लिए आयात पर निर्भर रहा करते थे,लेकिन आज, कई प्रमुख हथियारों और प्लेटफार्मों का निर्माण देश के भीतर ही किया जा रहा है। विदेशी कंपनियों को अपनी तकनीक साझा करने और भारत में घरेलू उद्योग के साथ उपकरण का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2014 में, रक्षा निर्यात का मूल्य लगभग 1,000 करोड़ रुपये था, लेकिन आज हम हजारों करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं।”