भोपाल । सिर्फ मानसिक क्रूरता विवाह-विच्छेद की स्वीकृति का आधार नहीं है। यह बात कुटुंब न्यायालय जबलपुर के प्रधान न्यायाधीश केएन सिंह की अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कही है। अपने फैसले में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दरअसल, गृहस्थी में पति-पत्नी के बीच जरा-जरा सी बातों पर अकसर कहा-सुनी होती रहती है।
इसका यह आशय नहीं कि विवाह-विच्छेद का आधार बन गया। इस मामले में पत्नी अपने पति के साथ रहना चाहती है किंतु पति तैयार नहीं है। लिहाजा, उसकी ओर से दायर विवाह-विच्छेद की अर्जी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं पाकर निरस्त की जाती है। अधिवक्ता ने दलील दी कि आवेदक व अनावेदिका का विवाह 20 जून, 2018 को गुरुद्वारा मदन महल से सिख-हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था।
विवाह के बाद छोटी-मोटी तकरार होने लगी, जो प्रायः पति-पत्नी के बीच होती ही रहती है। लिहाजा, तूल देकर बात तलाक तक पहुंचाना अनुचित है। अदालत ने पूरा मामला समझने के बाद तलाक की मांग नामंजूर कर दी। आवेदक जबलपुर के करमेता निवासी प्रभजीत सिंह लूथरा की ओर से पत्नी जसनप्रीत लूथरा से विवाह-विच्छेद चाहा गया था। अनावेदिका की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी व सतपाल जायसवाल ने पक्ष रखा।